published by saurabh
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इटावा ,(ST News): उत्तर प्रदेश में इटावा बीहड़ो में स्थापित इटावा सफारी पार्क के पिछले वर्ष अक्टूबर में शुभारंभ के अवसर पर प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने टाइगर सफारी खोले जाने की घोषणा की थी। इटावा सफारी पार्क के निदेशक वी.के.सिंह ने मंगलवार को यहां बताया कि टाइगर सफारी खोले जाने से पहले केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण व वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट को पत्र लिखकर फिजिबिलिटी स्टडी करने को कहा गया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही टाइगर सफारी के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जगह का चिन्हींकरण कर लिया गया है। इसको लेकर वन विभाग ने प्रस्ताव भी तैयार कर लिया था लेकिन उसे अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। उन्होंने बताया कि वन विभाग टाइगर सफारी शुरू करने से पहले इसकी फिजिबिलिटी स्टडी यानी व्यवहार्यता अध्ययन का आकलन करना चाहता है। इसके लिए सीजेडए यानी केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण व वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट नई दिल्ली को पत्र लिखा गया है। उनकी रिपोर्ट के बाद ही प्रदेश सरकार टाइगर सफारी खोलने को लेकर आगे विचार कर रही है। गत वर्ष 24 अक्टूबर को इटावा दौरे पर आए वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने टाइगर सफारी बनाए जाने की घोषणा की थी।
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इसके लिए जगह का चिह्नीकरण भी कर लिया गया था। सांसद डा. रामशंकर कठेरिया ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर टाइगर सफारी खोले जाने की मांग की थी। जिस पर वन विभाग ने शुरूआत में तेजी दिखाई थी लेकिन कोरोना संक्रमण शुरू हो जाने के बाद इटावा सफारी पार्क बंद कर दिया और उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। गौरतलब है कि इटावा सफारी पार्क में जब लायन सफारी को लाया गया था उसके बाद वर्ष 2014-15 में शेरों के अचानक बीमारी से ग्रसित होने के बाद उनकी मौतों का सिलसिला चल पड़ा था। ऐसे यह माना जाने लगा था कि यहां का वातावरण उनके लिए अनुकूल नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे माहौल बदला और साढ़े तीन साल पहले शेरनी जेसिका के दो शावकों सिबा व सुल्तान के जन्म लेने के बाद उनके पोषित होने पर इन सवालों पर विराम लग गया। अब तक शेरनी जेसिका पांच शावकों को जन्म दे चुकी है। वन विभाग के अधिकारी अब टाइगर सफारी को लेकर भी कोई सवाल न उठे इसलिए सीजेडए की मुहर खोलने से पहले लगवाना चाहते हैं। शुरूआत में जो योजना है उसके मुताबिक सफारी पार्क में बनने वाली टाइगर सफारी में 12 टाइगर रखे जाएंगे। प्रदेश में टाइगर तराई इलाकों में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। इनमें सहारनपुर, बिजनौर, पीलीभीत, गोरखपुर, कुशीनगर शामिल हैं।
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