भारत में अमेजन की धांधली को लेकर चुप्पी पर मोदी को पत्र

राष्ट्रीय व्यापार

नयी दिल्ली। देश के ई कामर्स व्यापार में विदेशी कम्पनियों द्वारा की जा रही धांधली और मनमानी के विरोध में रोष ज़ाहिर करते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पात्र भेजकर इस मामले में उनके सीधे हस्तक्षेप का आग्रह किया है। कैट ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा है कि भारत में अमेजन की धांधली को लेकर अमरीकी सीनेट के लगभग 15 सदस्य तो सक्रिय हो गए किंतु भारत से ही जुड़े संगीन मामले पर सभी मंत्रालयों एवं सरकारी विभागों की चुप्पी देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है क्योंकि गत 5 वर्षों से बार बार कहने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

लिहाज़ा अब इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री का सीधे हस्तक्षेप करना ज़रूरी हो गया है। प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने देश के ई कॉमर्स व्यापार की वर्तमान परिस्थितियों की ओर दिलाते हुए कहा कि जिसमें विदेशी धन से पोषित दुनिया की प्रमुख ई कॉमर्स कंपनियों ने वर्ष 2016 से देश के क़ानून एवं नियमों का खुले रूप से घोर उल्लंघन करते हुए ई कॉमर्स व्यापार पर एक तरह से अपना कब्ज़ा ही नहीं जमा लिया है बल्कि उसको बंधक भी बना लिया है किंतु बेहद खेद है कि न तो किसी मंत्रालय ने अथवा सरकारी प्रशासनिक विभाग ने इसका कोई स्वत: संज्ञान लिया तथा इसको रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।

साफ़ तौर पर ऐसा प्रतीत होता है की देश के नियमों ने इन कम्पनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं तभी ये कम्पनियां बिना किसी डर के खुले रूप से ई कामर्स व्यापार में अपनी मनमानी कर रहीं हैं और इनकी लगाम कसने वाला कोई तंत्र नहीं है। अफ़सोस तो इस बात का है कि सबूतों के साथ शिकायतें करने के बाद भी इसकी रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। केवल व्यापारियों द्वारा दायर शिकायतों पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जांच शुरू करने की रस्मी कार्यवाही ही हुई है और जिस धीमी गति से जांच चल रही है , देश के व्यापारी उससे कतई संतुष्ट नहीं है एवं किसी सार्थक परिणाम की कोई उम्मीद भी नहीं है।

फेमा क़ानून के उल्लंघन की जांच प्रवर्तन निदेशालय गत दो वर्षों से अधिक समय से कर रहा है किन्तु उसकी भी जांच का कोई पता नहीं है। हमारा यह निश्चित मत है कि यह अमरीकी कंपनियों द्वारा सीधे तौर पर एक आर्थिक आतंकवाद है। श्री भरतिया ने कहा कि गत सप्ताह एक वैश्विक समाचार एजेंसी ने अमरीकी कम्पनी अमेज़न पर सबूतों के साथ बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की अमेज़न भारत के उद्योगों के उत्पाद की नक़ल कर उन्हें अपनी व्यवस्था के जरिये बनवाती है और फिर बेहद कम दामों पर उनको बेच कर ई कॉमर्स व्यापार पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर रही है जिससे भारत के लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं और यही नहीं अमेज़न अपने पोर्टल पर सर्च व्यवस्था मेंहेरा फेरी कर अपने उत्पादों को शीर्ष पायदान पर रख अन्य विक्रेताओं के व्यापार को भी रोकती है।

यह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के सर्वथा विरुद्ध है क्योंकि इनकी कुटिल नीतियों का शिकार देश का लघु एवं माध्यम उद्योग और व्यापारिक वर्ग है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ़ तो भारत में अमेजन द्वारा इस तरह की अस्वस्थ व्यापारिक नीति को बेहद गंभीर विषय मानते हुए अमरीकी सीनेट के लगभग 15 सीनेटरों, जिसमें दोंनो राजनैतिक दल डेमोक्रैट एवं रिपब्लिक शामिल हैं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इसका स्वत : संज्ञान लिया और अमरीकी सीनेट की जुडिशल कमेटी तथा एंटी ट्रस्ट कमेटी ने इस पर कार्यवाही शुरू की है लेकिन दूसरी तरफ़ खेद का विषय है कि भारत से सम्बंधित मामला होते हुए भी अभी तक देश के किसी भी मंत्रालय अथवा प्रशासनिक निकाय ने इसका कोई संज्ञान ही नहीं लिया है और ऐसा प्रतीत होता है कि उनके लिए यह बेहद साधारण मामला है जबकि अमेज़न की यह नीति देश के छोटे व्यापारियों को तबाह करने की एक सोची समझी साजिश है।

श्री भरतिया ने कहा कि इस सम्बन्ध में यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि गत दो वर्षों में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अनेक बार विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरर्राष्ट्रीय मचों पर मजबूती से कहा है की देश के क़ानून एवं नियमों का पालन अक्षरश करना होगा किन्तु उनके इस वक्तव्य को भी विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों ने कोई तवज्जो नहीं दी और लगातार देश के क़ानून एवं नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है जिसका कोई संज्ञान किसी ने नहीं लिया गया। उच्चतम न्यायालय एवं कर्नाटक तथा दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भी अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट की व्यापारिक नीतियों पर सख्त टिपण्णी की गयी है किन्तु प्रशासनिक व्यवस्था पर उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा जो अफसोसजनक है।