published by saurabh
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नयी दिल्ली (वार्ता): समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (मपीडा) ने निर्यात होने वाले समुद्री खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता निश्चित करने के लिए गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर में एक प्रयोगशाला स्थापित की है जिससे वे अंतर्राष्ट्रीय मानको के अनुरुप हो सके। मपीडा ने सोमवार को यहां बताया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इस प्रयोगशाला से भारतीय निर्यातकों को मदद मिलेगी और स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता तय हो सकेगी। इस अत्याधुनिक प्रयोगशाला का उद्घाटन मपीडा के अध्यक्ष के. एस. श्रीनिवास ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शनिवार को किया। इस प्रयोगशाला में समुद्री खाद्य उत्पादों में विषाणु, भारी धातु जैसे कैडमियम, सीसा, पारा, और आर्सेनिक तथा टूना मछली में पाये जाने वाले तत्व हिस्टामाइन की मौजूदगी की जांच की जा सकती है। श्री श्रीनिवास ने बताया कि इस प्रयोगशाला को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोट्रीज तथा निर्यात निरीक्षण परिषद से मान्यता दिलाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं।
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गुजरात से निर्यात किये गये समुुद्री खाद्य उत्पादों में हाल में भारी धातु की मौजूदगी पायी थी। इस कारण इनके आर्डर रद्द कर दिये थे। समुद्री मछली के उत्पदन के मामले में तमिलनाडु के बाद गुजरात दूसरे स्थान पर हैं। वर्ष 2019 में गुजरात में 7.49 लाख टन समुद्री मछली का उत्पादन किया गया। गुजरात में झींगा मछली का उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है। लगभग 9709 हेक्टेयर क्षेत्र में 73 हजार 842 टन झींगा मछली का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा 1890 टन स्काम्पी मछली उत्पादन किया गया है। गुजरात से चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान और अमेरिका को निर्यात किया जाता है।
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