नशीली दवाओं तथा मादक पदार्थों का सेवन देश में एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या: हर्षवर्धन

न्यूज़ राष्ट्रीय हेल्थ

published by saurabh

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नयी दिल्ली,(वार्ता): केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ . हर्षवर्धन ने आज कहा कि नशीली दवाओं तथा मादक पदार्थों का सेवन देश में एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या बन गया है और यह सिर्फ एक स्वास्थ्य संबंधी मसला नहीं है बल्कि सामाजिक मुद्दा है। समाज और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के आपसी समन्वय से ही नशे की लत के खिलाफ मुहिम छेड़ी जा सकती है। डॉ हर्षवर्धन ने बुधवार को ‘स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट गाइलाइंस फाेर मैनेजमेंट ऑफ सब्सटैंस यूज डिस्ऑर्डर एंड बिहैवरल एडिक्शन’ ई-पुस्तिका जारी करते हुए कहा कि नशे की लत एक सामाजिक मुद्दा है। इसके प्रति लोगों के बीच जागरुकता फैलाने में समाज के गणमान्य लोगों तथा धार्मिक संगठनों को पहल करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि नशे की लत के कई दुष्परिणाम होते हैं और इनके उपचार के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के पास एक मानक दिशानिर्देश होना जरुरी है। उन्होंने बताया कि नशामुक्ति कार्यक्रम (डीडीएपी) द्वारा तैयार दिशानिर्देश का कोई भी आम क्लिनिक पालन कर सकता है। इनके पालन से नशे के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का निदान हो पायेगा और यह देश को अधिक स्वस्थ, खुखहाल तथा संपन्न बनने में मददगार साबित होगा। डॉ .हर्षवर्धन ने गैर संचारी रोगों जैसे कैंसर , मानसिक समस्या और सड़क हादसों तथा नशे की लत के आपसी संबंध को रेखांकित किया।

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उन्होंने कोरोना काल में नशे के आदी लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि ‘वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2020’ में यह बताया गया है कि अन्य आर्थिक संकटों की तरह कोरोना के दुष्प्रभाव भी जल्द ही सामने आयेंगे। इस दौरान नशे के आदी लोग सस्ते सिंथेटिक मादक पदार्थों को इस्तेमाल करने लगेंगे, सुई के इस्तेमाल से नशा करने वालों की संख्या बढ़ जायेगी। आर्थिक संकट की स्थिति में गरीब और वंचित लोग मादक पदार्थों का सेवन करन लगेंगे और इसके दुष्परिणाम झेलेंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसके अलावा यह भी बात सामने आयी है कि सिगरेट पीने वालों को कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा रहता है और उनके संक्रमित होने पर परिणाम भी गंभीर हो सकते हैं। शराब पीने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ता है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ तंबाकू ही नहीं शराब, अफीम और भांग का अत्यधिक सेवन भी चिंता का विषय है। देश में इसके अलावा नशीली दवाओं तथा अन्य प्रकार के मादक पदार्थों का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली को अपनाने के कारण ये समस्यायें अधिक बढ़ गयी हैं। लोगों के व्यवहार में बदलाव से आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं जैसा कि कोरोना महामारी के दौरान देखा गया है। दिशानिर्देश को तैयार करने वाली विशेषज्ञ टीम में निम्हांस बेंगलुरु, एम्स दिल्ली, पीजीआईएईआर चंडीगढ़, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज तथा सफदरजंग अस्पताल, अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और डॉ .राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मनोचिकित्सक शामिल थे।

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