राजस्थान में सोरसन को अभ्यारण्य का दर्जा देने की मांग जोर

राष्ट्रीय

जयपुर। राजस्थान में राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) संरक्षण के लिए कोटा संभाग में बारां जिले के सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र स्थापित करने एवं इसे अभ्यारण्य का दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। राज्य सरकार की सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र स्थापित करने की घोषणा के कई दिनों बाद भी केन्द्र की स्थापना नहीं होने और वन क्षेत्र के आस पास खनन गतिविधियों के होने को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह तथा पर्यावरण संगठनों के लोग कई दिनों से सोरसन को अभ्यारण्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं और अब श्री सिंह के एक नवंबर को पर्यावरण एवं वन प्रेमियों के साथ कोटा में पैदल मार्च निकालकर प्रदर्शन करने का ऐलान एवं पर्यावरण एवं वन संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स की राजस्थान इकाई के प्रदेश प्रभारी बाबू लाल जाजू तथा अन्य पर्यावरण विदों के इस मांग के समर्थन में खड़े होने से इसे और बल मिलने लगा है।

श्री जाजू ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गोडावण और काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध सोरसन वन क्षैत्र के आसपास खनन लीजें देने के राज्य सरकार के निर्णय पर पुनर्विचार कर खानें निरस्त करते हुए वन क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित करने की मांग की है। श्री भरत सिंह सोरसन के ग्रास लैंड में गोडावण बचाने को लेकर पिछले काफी समय से सक्रिय हैं और खनन राज्य मंत्री प्रमोद जैन ‘भाया’ पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने मिलने वालों के नाम सोरसन क्षेत्र में खनन पट्टे आवंटित करवा देने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने अपनी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुर्लभ होते जा रहे गोडावण पक्षी को बचाने का राज्य सरकार का अब तक का प्रयास एक ‘नाटक’ दिखाई देने लगा है।

इस मसले को लेकर राज्य सरकार और वन विभाग मौन है जिसके चलते सोरसन ग्रास लैंड का नष्ट होना तय है। अगर इस क्षेत्र में लीज पर खनन करने का पट्टा दे दिया गया तो अगले 50 सालों तक ब्लास्टिंग और उसके बाद खनन से आसपास में बसे गांव में रह रहे लोगों का जीना हराम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बारां जिले में नियाना गांव के तालाब में सर्दियों के मौसम में पांच हजार से भी अधिक पक्षी देखे जाते हैं लेकिन इस तालाब के पास ही पत्थर क्रसर लगाया जा रहा है। यहीं पर खनन लीज है जहां खनन के लिए विस्फोट होंगे, ऐसे में वहां पक्षी और अन्य वन्य जीव कैसे रह पायेंगे। श्री सिंह एवं पर्यावरण संगठनों का एक शिष्टमंडल पिछले दिनों वन मंत्री सुखराम बिश्नोई से मिलकर भी इस मांग को उठाया, इस पर श्री विश्नोई ने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया था।

इस मांग के समर्थन में श्री जाजू ने कहा कि विधायक भरत सिंह एवं प्रदेश के पर्यावरण विदों ने पिछले कई दिनों से सरकार को ध्यान दिला रहे है कि खनन गतिविधियों से सोरसन में काले हिरणों और प्रवासी पक्षियों समेत प्रस्तावित हो चुके गोडावण प्रजनन केंद्र पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। इसके बावजूद सरकार और वन अधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जो आश्चर्यजनक है। उन्होंने बताया कि वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास सोरसन राज्य पक्षी गोडावण के लिए प्रसिद्ध रहा है, इसे राजस्थान का दूसरा तालछापर कहा जा सकता है। सन् 2000 तक यहां गोडावण देखे जाते रहे है। उसके बाद षडयंत्र से शिकार की वारदातों में गोडावण योजनाबद्ध तरीके से खत्म किए गए। अब यहां पर 2500 से अधिक काले हिरण विचरण कर रहे है।

खनन गतिवधियों से उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। सरकार की नीति है कि वन एवं वन्यजीव संरक्षण हो उसके लिए वन एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बने हुए है। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा सोरसन मामले में स्वप्रसंज्ञान लेने के बाद भी सरकार ने वहां खनन की तीन लीेजें जारी कर दी है, और 20 और देने की प्रक्रिया जारी है। सरकार को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जा चुके है फिर भी सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक है। श्री जाजू नेएक नवम्बर को कोटा में आयोजित पर्यावरण संकल्प रैली का समर्थन किया है। इस रैली के माध्यम से सरकार को याद दिलाया जाएगा कि पर्यावरण बचाना सरकार का कर्त्तव्य है, उससे भागने की जरूरत नहीं है।