published by saurabh
इसे भी देंखें- https://www.youtube.com/watch?v=m0_Caa0LIhc&t=20s
नयी दिल्ली,(वार्ता): उच्चतम न्यायालय ने देश भर के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितम्बर तक आयोजित करने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गत छह जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 10 अगस्त तक स्थगित कर दी। इस बीच श्री मेहता ने कहा कि किसी विद्यार्थी को अभी फिलहाल यह धारणा नहीं बनानी चाहिए कि शीर्ष अदालत में मामला लंबित नहीं होने के कारण परीक्षा नहीं होगी और छात्रों को अपनी पढ़ाई की तैयारी जारी रखनी चाहिए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता यश दुबे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि कई ऐसे विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षा के लिए ज़रूरी सुविधा नहीं है, इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि ऑफ लाइन का भी विकल्प है।
यह भी पढ़ें-https://sindhutimes.in/rahul-said-need-to-take-advantage-of-the-opportunity/
इस पर श्री सिंघवी ने कहा, “लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा।” इस पर फिर न्यायालय ने कहा कि यह तो छात्रों के हित में नजर आता है। इस बीच, न्यायालय ने महाराष्ट्र में राज्य आपदा प्रबंधन समिति की तरफ से लिये गए फैसले की कॉपी रिकॉर्ड पर रखने को कहा है और सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि यूजीसी ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करके कहा था कि 30 सितम्बर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने को लेकर अधिसूचना का उद्देश्य विद्यार्थियों के अगले साल की पढ़ाई में विलम्ब होने से रोकना है। आयोग का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम के तहत उन्हें बच्चों की उच्च शिक्षा के संदर्भ में नीतिगत फैसला लेने का अधिकार है। इसी अधिकार के तहत उन्होंने बच्चों के भविष्य की बेहतरी को देखते हुए ही 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने का निर्देश दिया है। आयोग का कहना है कि अंतिम वर्ष महत्वपूर्ण होता है, जिसके परीक्षाफल के आधार पर छात्रों का आगे का भविष्य निर्भर करता है। इसलिए इसमें बिना परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जा सकते। उधर, आयोग के हलफनामा के बाद याचिकाकर्ताओं ने देर शाम जवाबी हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि आयोग उनकी शिकायतों पर सही तरीके से जवाब देने में असफल रहा है।
कृषि से संबन्धित समाचारों के लिए लागइन करें–http://ratnashikhatimes.com/