सुल्तानपुर में हुई ललही छठ की पूजा

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published by saurabh

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सुल्तानपुर(ST News): कोरोना महामारी में तमाम बंदिशो के बीच माताओं ने पुत्रों की लम्बी उम्र के लिए घर में ही प्रतीकात्मक तालाब बना कर ललही छठ का व्रत रखा। इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की पूजा अर्चना कर पुत्रों के दीर्घायु की प्रार्थना की। उत्तर-प्रदेश के सुलतानपुर जिले में कोरोना महामारी के चलते शहर लगभग पूरी तरह से बंद हैं, जिससे लोगो का बाहर निकालना और तालाब या पोखरे तक जन मुमकिन नही हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्मदिन है। बलराम जी के जन्मोत्सव श्रावण पूर्णिमा के 6 दिन बाद अनेक नामों से जैसे चंद्रषष्ठी, बलदेव छठ या रंधनषष्ठी के नाम से मनाया जाता है। आज के दिन महिलाएं संतान प्राप्ति तथा संतान की रक्षा व पुत्र के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। सामान्यतया यह पूजा तालाब के स्वच्छ पानी या नदी के किनारे की जाती हैं। लेकिन इस विषम परिस्थिति में माताओं ने घर पर ही बड़े टब या पात्र में प्रतीकात्मक तालाब बना खूबसूरत सजावट करके उसी में पूजा की सारी औपचारिकताए पूरी की हैं। ज्योतिषाचार्य व नगर के चौक स्थित हनुमानगढ़ी के पुजारी रमा कांत ने बताया कि आज ललही छठ का पूजन दिन भर किया जा सकता है। भद्रा आदि का कोई योग नहीं है।

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इस पूजन में कुश, महुआ, पलाश का पत्ता, किन्नी चावल, मीठा मिट्टी का छोटा कुल्लहड, सूखा महुआ, भुना बाजरा, चना चावल, मटर, सुपारी, नारियल, दूध, सिंदूर, फल और फूल आदि एकत्रित कर महिलाओं ने पूजा संपन्न की है। व्रतधारी अलका जयपुरिया ने बताया कि उन्होंने अपने एकलौते पुत्र श्रीधर के लिए अनुष्ठान किया, जिसमें पहले तालाब बना लोटे में कुश और महुआ का पौधा लगाया, पान के पत्ते पर गौर को स्थापित किया। उसके बाद सांकेतिक तालाब को जल से भरा। सबको हल्दी, चावल पीस कर लगाया, हर साल पूजित पीला कपड़ा अर्पित किया। सिंदूर, दूध, करेमुआ, लौंग और द्रव्य अर्पित कर धूप दीप दिखाया। हल्दी मे पंजा डुबो कर बेटे श्रीधर की पीठ पर छः बार ठप्पा लगा कर आशीर्वाद दिया ।

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