published by saurabh
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लखनऊ(ST News): अयोध्या मे रामजन्म स्थल पर पांच अगस्त को भूमि पूजन होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच ब्राहम्ण वोट को अपने पाले में करने की होड़ शुरू हो गयी है । राज्य में विधानसभा के चुनाव हालांकि 2022 में होने हैं लेकिन राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है । उत्तर प्रदेश में राम मंदिर आंदोलन के बाद राज्य के ब्राहम्ण मतदाता भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में चले गये थे । लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का नारा देकर 2007 में सत्ता हासिल कर ली ।दलित ,ब्राहम्ण गठजोड़ से बसपा की पहली बार राज्य में पूरे बहुमत की सरकार बनी । अब ब्राहम्ण वोट कसो अपने पक्ष में करने के लिये भगवान परशुराम का सहारा लिया जा रहा है ।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि अगले चुनाव के बाद राज्य में उनकी सरकार बनने पर राजधानी लखनऊ में परशुराम की 108 फिट ऊंची प्रतिमा लगाई जायेगी ।
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उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में परशुराम के जन्मदिन पर अवकाश का ऐलान किया गया था जिसे भाजपा ने खत्म कर दिया गया । बसपा प्रमुख मायावती भी कहां पीछे रहने वाली थी ,उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से बनाये जाने वाली मूर्ति सपा से ज्यादा बड़ी होगी और उसके साथ एक अस्पताल भी बनवाया जायेगा । उन्होंने कहा कि विकास दूबे कांड की आड़ में ब्राहम्णों को पूरे राज्य में परेशान किया गया । विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं लिहाजा मतदाता भावनाओं में बहकर मतदान नहीं करें । सपा,बसपा के बाद कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नही हैं । पार्टी के नेता जितिन प्रसाद ब्रहम् चेतना के जरिये ब्राहम्णों से संवाद कर रहे हैं । वो उन जिलों में जा रहे हैं, जहां ब्राहम्णों की हत्या हुई है । दूसरी ओर कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने बिना अखिलेश यादव का नाम लिये कहा कि जालीदार टोपी लगा के इफ्तार पार्टी करने वाले जब ब्राहम्ण हित की बात करते हैं तो यह शोभा नहीं देता। राज्य की जनता सब समझती है कि कौन राजनीतिक दल उनकी हितैषी है और कौन नहीं ।
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