published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता): ड्रोनों ऑपरेटरों को इनकी उड़ान शुरू करने से पहले नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) से सुरक्षा कार्यक्रम की मंजूरी लेनी होगी। बीसीएएस ने एक आदेश में कहा है कि हर ऑपरेटर को दो किलोग्राम या इससे अधिक वजन के ड्रोन के परिचालन के लिए एक सुरक्षा कार्यक्रम बनाना होगा जिसमें रिमोट पायलटिंग स्टेशन और ड्रोन के दुरुपयोग और इसके सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ रोकने के उपायों का विवरण होगा। इस कार्यक्रम को ब्यूरो की मंजूरी मिलने के बाद ही ऑपरेटर ड्रोनों की उड़ान शुरू कर पायेगा। आदेश में कहा गया है कि रिमोट पायलटिंग स्टेशन पर सिर्फ जरूरी कर्मचारियों की पहुँच होनी चाहिये। बायोमीट्रिक पहचान के आधार पर प्रवेश के लिए प्रणाली लगाने की सिफारिश की गई है। साथ ही वहाँ काम करने वाले सभी कर्मचारियों की पूरी जाँच के बाद ही उनकी नियुक्ति हो सकेगी। जहाँ ड्रोन रखे जायेंगे, उन स्थानों तक भी सीमित लोगों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। बीसीएएस ने कहा है कि ड्रोनों के सॉफ्टवेयर से किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी ऑपरेटर की होगी।
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सुरक्षा कार्यक्रम में उसे यह बताना होगा कि ड्रोन हैक होने से रोकने के लिए उसने किसी प्रकार के साइबर सुरक्षा इंतजाम किये हैं। रिमोट पायलटिंग स्टेशन और ड्रोन रखने की जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। इसके बावजूद किसी प्रकार से सुरक्षा में सेंध की जानकारी होते ही बीसीएएस को इसके बारे में सूचित करना होगा। सरकार ने देश में ड्रोनों के वाणिज्यिक परिचालन के लिए नियम तय कर दिये हैं। ड्रोनों के परिचालन के लिए इनका पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। साथ ही उड़ान से पहले फ्लाइट प्लान नागर विमानन महानिदेशालय की वेबसाइट पर देनी होगी। भविष्य में बड़ी संख्या में ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना को देखते हुए अभी से सुरक्षा संबंधी नियमों को पुख्ता बनाया जा रहा है। अच्छे उद्देश्यों के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की जितनी संभावना है, उतना ही उसके दुरुपयोग का खतरा भी है।
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