published by saurabh
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सहारनपुर,(ST News): केन्द्र में सतारूढ मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए कानून को एक वर्ष पूरा हो गया है। इस दौरान 42 फीसद मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में तीन तलाक तथा महिला उत्पीड़न के मामलों में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया सहारनपुर में वर्ष 2019 में तलाक के 102 एफआईआर दर्ज हुई थी जबकि एक वर्ष बाद 42 ही मुकदमें दर्ज हुए हैं। पुलिस ने इस दौरान 70 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। कानून बनने के बाद अभी तक सहारनपुर में तलाक के 144 मामले जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हुए हैं। डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने बताया कि तीन तलाक के मामलों में गिरावट आई है जो भी पीड़ित महिला तीन तलाक की शिकायत लेकर थानों पर पहुंचती है, उन सभी को न्याय मिलता है। सहारनपुर की तलाकशुदा महिला आतिया शाबरी तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गई थी। उनका मुकदमा सहारनपुर की मशहूर अधिवक्ता फराह फैज ने लड़ा था। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था। मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रभावी कानून बनाया जिसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं।
एक महिला नसीमा ने कहा कि तीन तलाक का कानून बनने के बाद उनके शौहर के बर्ताव में सकारात्मक बदलाव आया है। पति के साथ वह शकुन की जिंदगी बसर कर रही है। खुर्शीदा ने बताया कि महिलाओं का वैवाहिक जीवन पहले के मुकाबले अब ज्यादा सुरक्षित हुआ है। फरहीन ने कहा कि कानून बनने के बाद से महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न के मामले में कमी आई है। असमां ने कहा कि नई पीढ़ी की महिलाओं को इस कानून का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलेगा। आतिया शबरी ने कहा कि पहले बीवी डरती थीं, अब शौहर डरता है। इस कानून के बनने के बाद कई महिलाओं और उनके शौहर के बीच समझौते हो जाने से उनके घर दोबार खुशहालीपूर्वक बस चुके हैं। सहारनपुर की नसीमा आठ महीने से अपने मायके में थी। कानून के डर से ससुराल वाले उसे मनाकर अपने साथ घर ले गए।
गंगोह थाना क्षेत्र के गांव बल्ला माजरा निवासी युवती का निकाह कोतवाली देहात के गांव हीराहेड़ी निवासी खालिद से हुआ था। पुत्री होने के बाद उसे तीन तलाक दे दिया गया था। पुलिस ने इस महिला की शिकायत पर उसके शौहर के खिलाफ तीन तलाक की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। तीन तलाक कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को अब तत्काल कानूनी सहायता मिलती है और उन्हें दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता है।
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