नए कृषि कानून से कैसे किसानों की आय होगी दोगुनी और कहां तक पहुंची है सरकार

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Published by Aprajita

नई दिल्‍ली केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है।इस पर काम भी चल रहा है। हालांकि, मार्ग में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। वर्ष 2017 में नाबार्ड की तरफ से जारी एक रिपोर्ट यह बताती है कि वर्ष 2012-13 के मुकाबले किसान परिवारों की आय में 39 फीसद की वृद्धि हुई है। इस समय जबकि कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन जारी है, एक बार फिर समझते हैं कि किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए सरकार ने कैसा रोडमैप तैयार किया है और काम कहां तक पहुंच पाया है

25 लाख करोड़ के निवेश की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार हर हाल में वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है। इस क्रम में कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश की योजना भी तैयार की गई है। देश का 48 फीसद परिवार खेतीबारी पर निर्भर है। हालांकि, इस क्षेत्र में उतना निवेश नहीं हो पाया है, जिनता होना चाहिए था। निवेश बढ़ने से जहां इसका आधारभूत ढांचा मजबूत होगा, वहीं रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

जैविक व जीरो बजट खेती

अध्ययन बताते हैं कि कृषि लागत लगातार बढ़ रही है। इसका प्रतिकूल असर किसानों पर पड़ रहा है। इसलिए, सरकार ने खेती के मूलभूत और पारंपरिक तरीके पर लौटने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। जैविक और जीरो बजट प्राकृतिक खेती बेहतर विकल्प हैं, जिनमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक रूप से तैयार उर्वरकों औरकीटनाशकों के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।सीधी सी बात है, फसल उत्पादन लागत जितनी कम होगी, उतना ही किसानों का मुनाफा बढ़ेगा और उनकी आमदनी में इजाफा होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बाढ़, आंधी, ओलावृष्टि व तेज बारिश से फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। इसका लाभ सभी किसानों को दिलाने का लक्ष्य है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

बाढ़, आंधी, ओलावृष्टि व तेज बारिश से फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। इसका लाभ सभी किसानों को दिलाने का लक्ष्य है। देश में सिंचाई सुविधाओं का विकास हुआ है, लेकिन प्राकृतिक आपदाएं किसी के वश में नहीं। किसान अपनी पूंजी खेत में प्रकृति के भरोसे छोड़ देता है और आपदा की स्थिति में उसकी कमर टूट जाती है। लेकिन, जब फसलों का बीमा होगा तो उन्हें आर्थिक रूप से मजबूर नहीं होना पड़ेगा।

अनुबंध कृषि

इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर किसानों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करना है। कुछ राज्यों में कुछ फसलों के लिए अनुबंध पर खेती होती थी, लेकिन इसका व्यवस्थित स्वरूप नहीं था। इसलिए, केंद्र सरकार ने इसे व्यवस्थित रूप दिया है। कोई किसानोें के साथ हेराफेरी नहीं कर पाएगा। फसलों की कीमत उत्पादन से पहले ही तय हो जाएगी और किसान को एकमुश्त व वाजिब कीमत मिल पाएगी। विवाद की स्थिति में भी किसानों का पक्ष मजबूत रहेगा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

यह कृषि लागत को कम करने की दिशा में अहम कदम है। इससे जहां उर्वरकों का इस्तेमाल घटेगा, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।अब तक किसान बिना यह जाने कि मिट्टी में किस तत्व की कमी है, यूरिया आदि रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करता रहा है। इससे उसे तीन तरफ से नुकसान होता है। लागत बढ़ती है, मिट्टी की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है और फसल उत्पादकता घटती है।

मंडी सुधार कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश राज्यों में सरकारी मंडी समितियों का बोलबाला है। यहां फसल बेचने आने वाले किसानों को आमदनी की रकम का एक बड़ा हिस्सा कर व दलाली के रूप में भुगतान करना पड़ता है। केंद्र सरकार ने बिचौलियों का पत्ता काटने के लिए कानून में संशोधन किया है। अब किसान मंडी से बाहर भी अपना उत्पाद बेच सकते हैं। सरकार ने 10 हजार नए कृषि उत्पादक संगठन बनाने की भी घोषणा की है।किसान अब अपना उत्पाद किसी भी राज्य में बेच सकते हैं। मसलन, बिहार के किसानों को पंजाब में अच्छी कीमत मिल रही हो तो वे अपना उत्पाद वहां भी बेच सकते हैं।

पीएम किसान सम्मान निधि किसानों की दशा सुधारने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत गत वर्ष की गई है। इसके तहत खेतीबारी में मदद के लिए किसानों को सालाना छह हजार रुपये तीन किस्तों में दिए जाते हैं। देश के 14.5 करोड़ किसान परिवारों को इस योजना का लाभ देने पर काम चल रहा है।  देश के कुल किसानों में से 86 फीसद के पासपांच हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इन किसानों को अक्सर और अकर बिजाई-कटाई के समय नकदी की समस्या का सामना करना पड़ता है। तीन किस्तों में मिलने वाली छह हजार की राशि इन कामों में बड़ी मददगार साबित होती है।

किसान क्रेडिट कार्ड केंद्र सरकार ने मत्स्यपालन व पशुपालन के काम से जुड़े लोगों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दिलाने की पहल की है। इसके जरिये सरकार न्यूनतम ब्याज पर किसानों को तीन लाख तक का कर्ज प्रदान करती है। छोटा रकबा और छोटी आमदनी किसानों को साहूकारों के दरवाजे तक खींच ले जाती है। सरकार का उद्देश्य उन्हें साहूकारों के चंगुल सेआजाद करना है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन इसका उद्देश्य गेहूं, चावल व दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाना है, ताकि देश अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हो। इस दिशा में किसानों को डिजिटल साक्षर बनाने के साथ-साथ कई अन्य पहल भी किए गए हैं। सरकार चाहती है कि किसी भी प्रकार के अनाज के आयात की जरूरत न पड़े, ताकि अपने देश के किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले।

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