published by saurabh
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सुलतानपुर(ST News): दशरथ नंदन प्रभु श्री रामचंद्र ने जिस रास्ते वन से अयोध्या वापसी की थी, सुल्तानपुर जिले के लगभग उसी रास्ते से होकर विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत अशोक सिंघल 1990 में छद्म वेश धारण कर पुलिस को छकाते हुए कार्यकर्ता की राजदूत मोटरसाइकिल से अयोध्या पहुंच गए थे। शासन और प्रशासन को खबर लगी तो सुरक्षा में लगे अधिकारियों के पैर तले जमीन खिसक गयी। अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि निर्माण के इतिहास में 23 और 24अक्टूबर 1990 की तारीख वह अहम पन्ना है जिसमें कारसेवा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल को किसी भी दशा में अयोध्या पहुंचना ही था। संगठन की रणनीति के अनुसार उनकी अयोध्या यात्रा गोपनीय ढंग से तैयार की गई, इसकी भनक भी शासन और प्रशासन को नहीं लग पाई। सुल्तानपुर जिले के शाहपुर निवासी राम नायक पांडे ही वह विहिप नेता हैं, जिनकी मोटर साइकिल से अशोक सिंघल अयोध्या में दाखिल हुए थे। उन्होंने यूनीवार्ता से कहा कि देश में राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू हो चुका था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ बिहार में पकड़ा जा चुका था और इधर इस आंदोलन की तैयारियों के लिए अशोक सिंघल कोलकाता में थे, वहां से ट्रेन द्वारा इलाहाबाद के लिए चल चुके थे। इसकी भनक लगने पर इलाहाबाद स्टेशन को छावनी में तब्दील कर दिया गया किंतु अशोक सिंघल इलाहाबाद से पहले ही नैनी स्टेशन पर ही उतर गए। अपने एक कार्यकर्ता के यहां पहुंच कर वेशभूषा कत्थई रंग का सफारी सूट पहन लिया और वहां से एक पत्रकार की कार से निकल पड़े। इधर सूचना सुल्तानपुर पहुंची कि उन्हें सिंगरामऊ डिग्री कॉलेज के पास छद्दम् वेश में रुक कर इंतजार करना है।
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स्थिति आज लॉक डाउन जैसी ही थी, चारो तरफ पुलिस का पहरा, कहीं से भी निकलना मुश्किल था। सुलतानपुर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन विभाग प्रचारक रामदयाल एवं वो सिंगरामऊ पहुंच गए। सुबह के स्थान पर दोपहर देर से सिंगरामऊ पहुंचे अशोक सिंघल को गठिया रोग की समस्या थी, पैर में बहुत दर्द था इसलिए उन्होंने पूछा कि क्या यह कार और आगे तक सुरक्षित जा सकती है। मेरे हाँ कहने पर कार शाहपुर के लिए चल पड़ी रास्ते में पुलिस का बैरियर आ गया तभी हम सभी अलर्ट हो गए और मेरी मोटरसाइकिल कार के दाएं खड़ी हुई और सिंघल जी ने गेट खोलकर अपना पैर बाहर निकाल दिया ताकि पुलिस की कोई कार्रवाई होने के पहले ही वह मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग निकले किंतु पत्रकार ने उतर कर दरोगा से तमाम ऐसे सवाल किए कि दरोगा खुद हकबका गया और वह जाने की छूट दे दी।अशोक सिंघल की कार शाम होते शाहपुर राम नायक पांडे के घर पहुंच गई। थोड़ा विश्राम के बाद उन्ही के घर से गरम कपड़े लेकर साथ चल रहे श्रीश चंद्र दीक्षित उपाध्यक्ष विहिप दो अलग-अलग मोटरसाइकिल पर सवार होकर अयोध्या के लिए निकल पड़े। दियरा के पास नाला पार करना था, अशोक सिंहल ने रामनायक पांडे की गाड़ी को धक्का लगाकर किसी तरह नाला पर किया। वही पर रणनीति बनी कि यदि हम पकड़े गए तो क्या बताना हैं। वैसे बचने के लिए उनके पास एक जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से सुंदर लाल पांडे, अशोक चंद्रा आदि के नाम से चार पत्रकार पास बना हुआ था। आगे चलने पर रास्ते में भूख लगी तो मनउपुर में एक परिचित के यहाँ विश्राम व जलपान की व्यवस्था की गयी। यहाँ से जब आगे बढे तो एक दरोगा मिल गया उसे हम सब ने एक शादी में लड़की देखने आने का बहाना बता कर बचा निकले। आगे भीठी में एक खुँखार दरोगा था जिसके कारण रास्ता बदलकर आगे बढ़ें। श्री पांडे ने बताया कि रास्ते में तमाम झंझावातों को झेलते हुए और संबंधित कार्यकर्ताओं के यहां छिप छिपाकर रूकते रुकाते जलपान भोजन लेते हुए वह किसी तरह अयोध्या एक कार्यकर्ता के घर 24अक्तूबर को पहुंच गए। चार दिन रणनीति तैयार करने के बाद 28अक्तूबर को अशोक सिंहल ने गर्जना की थी कि कारसेवा तय समय पर होगी। हम एक इंच भी पीछे नही हटेंगें। शासन और प्रशासन को जब इसकी सूचना पहुंची तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गयी।
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