published by saurabh
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नयी दिल्ली,(वार्ता): केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश में पोलियो के उन्मूलन के लिए चलाये गये पल्स पोलियो अभियान में रोटरी इंटरनेशनल का योगदान अविस्मरणीय है और रोटरी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से पहले ही दुनिया को पोलियो मुक्त बनाने का सपना देखा था। डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को रोटरी इंटरनेशनल की ओरिएंटेशन वर्कशाॅप को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुये कहा कि भारत में पाेलियो उन्मूलन में रोटरी के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि रोटरी के बहुमूल्य सहयोग को भुलाया नहीं जा सकता। रोटरी ने न केवल कार्यकर्ताओं की सेवा दी और प्रचार कार्य में सहयोग दिया बल्कि वैक्सीन संग्रहण केन्द्रों से अत्यंत कम तापमान में रखे वैक्सीन को दिल्ली में सभी पोलियो बूथ पर सुबह- सुबह समय पर पहुंचा कर एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण काम कर दिखाया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि रोटरी के साथ जुड़ने के कुछ समय बाद ही दो अक्टूबर 1994 को उन्होंने पहला पल्स पोलियो अभियान आयोजित किया ।
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उस वक्त डब्ल्यूएचओ और यूनीसेफ जैसे वैश्विक संगठनों ने सहयोग किया और साथ मिलकर पल्स पोलियो अभियान के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया गया जिससे अभियान पूरी तरह सफल सिद्ध हुआ। उन्होंने कहा,“ देश में पोलियो का अंतिम मामला 11 जनवरी 2011 को सामने आया था। जनवरी 2021 में पोलियो मुक्त भारत के 10 वर्ष पूर्ण हो जायेंगे। हमने भारत से पोलियो उन्मूलन कर दिखाया हालांकि उस वक्त विश्व में पोलियो के कुल मामलों में से 60 प्रतिशत भारत में थे। उन्होंने कहा कि पल्स पोलियो अभियान की सफलता को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता और अब पूरी दुनिया पोलियो उन्मूलन के करीब है। केन्द्रीय मंत्री ने कोविड-19 का उल्लेख करते कहा कि भारत आज विश्व के सभी संपन्न और विकसित देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। प्रति दस लाख आबादी पर देश में संक्रमण के मामले और मृत्यु दर कम है। यहां रिकवरी दर 75 प्रतिशत के करीब पहुंच गयी है और अब तक साढे़ करोड़ से अधिक कोरोना नमूनों की जांच की गई हैं। भारत ने एक दिन में कोविड-19 के दस लाख से अधिक नमूनों की जांच करने का कीर्तिमान बनाया है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ,“ 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन और वैक्सीन से रोकी जानी वाले सभी मौतों पर काबू पाने के लिये शत प्रतिशत टीकाकरण करने में रोटरी का सहयोग उपयोगी सिद्ध हो सकता है। किसी भी महिला के लिये गर्भवती होना वरदान होता है और हम इसे अभिशाप नहीं बनने दे सकते। हमारा प्रयास है कि कोई भी गर्भवती महिला मृत्यु की शिकार न बने। हम शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को न्यूनतम बनाने के निरंतर प्रयास कर रहे हैं।”
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