published by saurabh
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नयी दिल्ली, (वार्ता): उच्चतम न्यायालय ने श्री एम वी राव को झारखंड का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने झारखंड निवासी प्रह्लाद नारायण सिंह की याचिका सुनने से इनकार कर दिया। झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और नीरज किशन कौल ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि यह सर्विस मैटर है और संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्विस मैटर की याचिका दायर नहीं की जा सकती। झारखंड सरकार के वकीलों ने दलील दी कि प्रह्लाद नारायण सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
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उन्होंने कहा कि अगर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के पैनल से नाम आयेगा तो राज्य सरकार डीजीपी की नियमित नियुक्ति कर दी जायेगी। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने तत्कालीन डीजीपी श्री चौबे का तबादला पुलिस आधुनिकीकरण विभाग के दिल्ली स्थित शिविर में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के तौर पर कर दिया था और 16 मार्च को श्री राव को कार्यकारी डीजीपी बना दिया था। याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर कहा था कि हेमंत सोरेन सरकार का यह निर्णय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संबंध में शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमनी पेश हुए। न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।
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