– पंचायत चुनाव ने पकड़ा जोर, किसान फसल काटने मे व्यस्त
औरैया, (विकास अवस्थी )। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का डंका बजते ही पंचायत चुनाव के विभिन्न पदों पर काबिज होने के लिए प्रत्याशियों की सरगर्मी तेज हो गई है , लेकिन खेती किसानी में लगे ग्रामीण मतदाताओं को रबी की फसल की कटाई मड़ाई कर घर ले जाने और साल भर के खाने खर्चे की चिंता उन्हें पंचायत चुनाव से उदासीन बनाये हुए है ।
मतदाताओं की यह बेरुखी प्रत्याशियों की बेचैनी का सबब बनी हुयी है। मौजूदा समय में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का डंका बज चुका है , और पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों पर काबिज होने का सपना संजोए दावेदारों का मन मयूर चुनावी समर में कूदने को मचलने लगा है, और इसी कारण आलम यह है कि चुनावी समर के सभी सूरमा रात दिन एक कर के गांव-गांव मतदाताओं को पटाने रिझाने में जुट गए हैं किंतु इस समय रबी समेत विभिन्न फसलों की कटाई मड़ाई का समय होने के कारण ग्रामीण मतदाता अपने साल भर के खाने खर्चे का काम चलाने वाली रबि की फसल को किसी तरह समेट कर घर ले जाने के प्रयासों में व्यस्त हो कर खेती किसानी में जुटे हुए हैं।किसानों को अपने साल भर के खाने दाने की अधिक चिंता सता रही है इसी कारण फिलहाल उनका पंचायत चुनाव की तरफ से मोहभंग नजर आ रहा है ऐसे में प्रधान पद समेत विभिन्न पदों के प्रत्याशी ग्रामीण मतदाताओं द्वारा चुनाव के प्रति रुचि न लिए जाने के कारण बेहद बेचैन नजर आ रहे हैं।
प्रत्याशियों का भी कहना है कि रबी की फसल की कटाई मड़ाई के साथ ही मूंग की बुवाई लहसुन की खुदाई जायद की फसल की सिंचाई समेत विभिन्न खेती किसानी के काम जोर पकड़े हैं , जिससे उन लोगों को मतदाताओं से वोट मांगने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। कभी-कभी तो इन प्रत्याशियों को खेती किसानी के काम में व्यस्त मतदाताओं की खरी-खोटी सुनने को भी मजबूर होना पड़ रहा है। इस संबंध में किसानों का भी कहना है कि रबि की फसल ही एक ऐसी प्रमुख फसल है। जो उनके साल भर के खाने खर्चे का काम चलाती है ऐसे में इस प्रमुख फसल को घर तक पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता है चुनाव तो होते ही रहेंगे चुनाव बाद उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा इसे कोई प्रत्याशी पूछने नहीं आता है।
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