published by saurabh
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इंदौर,(वार्ता): अर्जुन अवार्डी पहलवान और जाने-माने कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक और विश्व चैंपियन महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू को अर्जुन अवार्ड नहीं देने के फैसले को लेकर राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय की गाइडलाइन पर सवाल खड़े किए हैं। कृपाशंकर ने कहा कि अगर साक्षी ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन दिया तो उसकी उपलब्धियों को संज्ञान में लेना चाहिए। ऐसा करने से किसी खिलाड़ी को रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि हर खिलाड़ी का सपना होता है कि उसके नाम के आगे अर्जुन पुरस्कार विजेता लगे, क्योंकि यह अवार्ड भारत के महान योद्धा अर्जुन के नाम से है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड में ईनाम की राशि जरूर अर्जुन अवार्ड से ज्यादा है पर अर्जुन का नाम अपने आप में वजनदार है और खिलाड़ी वजनदार नाम के लिए अपनी जान की बाजी लगाते है।
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कृपा ने कहा कि अब तक 38 खिलाड़ियों को देश में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला है और उनमें से अधिकांश खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें दोनों पुरस्कार मिले हैं। ऐसी स्थिति में, क्या सरकार उन खिलाड़ियों से अर्जुन पुरस्कार वापस ले लेगी, जिन्हें खेल रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आपको दोनों अवार्ड चाहिए होते हैं। कृपा ने कहा कि राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को निर्धारित करने की गाइडलाइन कुछ अजीब है, ध्यानचंद पुरस्कार पाने वाले को द्रोणाचार्य पुरस्कार नहीं मिलेगा क्योंकि वह एक अच्छा कोच नहीं होगा और जो खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होगा वह अर्जुन पुरस्कार नहीं प्राप्त कर सकता। उन्होंने सरकार से राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिशानिर्देशों को संशोधित करने का अनुरोध किया।
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