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published by s.v. singh ujagar
तबीयत बिगड़ने के बाद लखनऊ के अस्पताल में 40 दिन से भर्ती थे
- आशुतोष टंडन ने ट्वीट के जरिए दी, आज लखनऊ में होगा अंतिम संस्कार
- राष्ट्रपति व् प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
मध्य प्रदेश के राज्यपाल और कभी उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रखर नेता और बाबू जी के नाम से प्रख्यात रहे लालजी टंडन (85) का मंगलवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। टंडन को 11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार शाम अस्पताल की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन में उनकी हालत क्रिटिकल बताई गई थी। आज शाम 4.30 बजे उनका लखनऊ में अंतिम संस्कार होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि टंडन का राजनीति में जितना ऊंचा कद था, उतना ही वे लखनऊ में सांस्कृतिक रूप से भी सक्रिय थे।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री लाल जी टंडन के निधन पर मुझे गहरा दुख है। देश ने एक ऐसे दिग्गज नेता को खो दिया है, जो लखनवी नफासत और प्रखर-बुद्धिमत्ता के मूर्तिमान उदाहरण थे। उनके परिवार और मित्रजनों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं।
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 21, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
टंडन का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था। लिवर में दिक्कत होने की वजह से 14 जून को इमरजेंसी ऑपरेशन किया गया था। टंडन की हालत में सुधार न होता देख केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बाई पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था।
उन्हें कानून की बेहतर समझ थी: मोदी
Shri Lalji Tandon will be remembered for his untiring efforts to serve society. He played a key role in strengthening the BJP in Uttar Pradesh. He made a mark as an effective administrator, always giving importance of public welfare. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/6GeYOb5ApI
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2020
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘लालजी टंडन समाज के लिए किए अपने कामों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वे एक कुशल प्रशासक थे। कानूनों मामलों की उन्हें गहरी समझ थी। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ वे लंबे समय तक और करीब से जुड़े रहे। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।’’
संघ से 12 साल की उम्र में जुड़ गए थे
टंडन 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। संघ से जुड़ाव के चलते ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। बाद में जब अटलजी ने लखनऊ की सीट छोड़ी तो बतौर विरासत लालजी टंडन को यह सीट सौंपी गई। 2009 में टंडन ने लोकसभा चुनाव जीता और लखनऊ के सांसद बने।
1960 से शुरू हुआ था लालजी टंडन का राजनीतिक सफर
टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।