किसानों, खेतिहर मजदूरों को बर्बाद करने का षड्यंत्र कर रही है मोदी सरकार-सुरजेवाला

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Published By Anant Bhushan 

अखिल  भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि केंद्र सरकार कृषि सुधार विधेयकों के जरिए खेत और खलिहानों को मुट्ठीभर पूंजीपतियों को बेचने का षड्यंत्र कर रही है।

सुरजेवाला ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों के जरिए किसानों, खेतिहर मजदूरों, छोटे दुकानदारों, मंडी मजदूरों, मुनीमों और छोटे कर्मचारियों की आजीविका पर क्रूर और कुत्सित हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इन काले कानूनों के जरिए मोदी सरकार ने किसान और मजदूरों के भविष्य को बर्बाद करने और उनकी बदहाली की गाथा लिख डाली है। यह किसानों के खिलाफ घिनौना षडयंत्र है। इसके खिलाफ देश के 62 करोड़ किसान और खेतिहर मजदूर, 250 से अधिक किसान संगठन धरना प्रदर्शन करके अपना विरोध जता रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूरे देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर संसद में भी नुमाइंदों की आवाज का गला घोंटा जा रहा है किसान और मजदूरों को बेरहमी से पीटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है, खेत खलिहान में मजदूरों किसानों की आजीविका का। देश में कोरोना ने तो सीमा पर चीन ने हमला बाेल रखा है।

सुरजेवाला ने तीन बिंदुओं पर मोदी पर प्रहार करते हुए कहा कि देश में 1965 में हरित क्रांति की शुरुआत इंदिरा गांधी ने की थी। जिसके तहत 23 फसलों को खरीदने के लिये केंद्र सरकार बाध्य थी। उसी दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया गया, जिन्हें सरकार खरीदकर राशन की दुकान के जरिए गरीबों को सस्ती दरों पर मुहैया करायेगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन विधेयकों के जरिए खेत खलिहान पर ही नहीं बल्कि देश के अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग और गरीबों को मिलने वाले सस्ते अनाज पर भी हमला बोला है।

सुरजेवाला ने कहा कि तीनों विधेयकों में एमएसपी का जिक्र ही नहीं किया गया है। इन विधयेकों से एमएसपी शब्द ही उड़ा दिया गया है। अगर यह बेईमानी नहीं है तो कानून में एमएसपी की गारंटी क्यों नहीं दे रही सरकार। कानून में एमएसपी देना अनिवार्य क्यों नहीं किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या जो कम्पनियां एमएसपी से कम दर पर फसलें खरीदेंगी क्या सरकार उन्हें सजा देगी। उन्होंने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने तत्कालीन केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में एमएसपी की गारंटी देने का खुलकर समर्थन किया था, लेकिन वह अपनी ही बात से मुकर रहे हैं। यह राजनीतिक बेईमानी का सुबूत है।

सुरजेवाला ने कहा कि अगर अनाज मंडियां, सब्जी मंडियां पूरी तरह नष्ट हो जायेगी तो कृषि उपज प्रणाली भी पूरी तरह से नष्ट हो जायेगी। किसान की फसल एमएसपी पर कौन खरीदेगा, कैसे खरीदेगा और कहां खरीदेगा। ये तीन बड़े सवाल है जिनका जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 की गणना के अनुसार देश में साढ़े 15 करोड़ किसान हैं। क्या एफसीआई उनके घरों, खेतों पर जाकर एमएसपी देगी। जब 42 हजार मंडियों में उनकी उपज खरीदी नहीं जाती तो 15 करोड़ किसानों से कैसे खरीदेंगे1

सुरजेवाला ने कहा कि श्री मोदी कहते हैं कि किसान बिचौलियों से मुक्त होकर अपनी उपज पूरे देश में कहीं भी बेच सकता है। इससे बड़ा झूठ कोई नहीं है। किसान आज भी पूरे देश में अपनी फसल लेकर बेच सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी ने अगर खेती की होती तो उन्हें समझ में आता। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 की कृषि गणना के अनुसार 8़ 22 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम का मालिक है। 80 प्रतिशत किसान दो एकड़ भूमि का मालिक है। ये किसान दूसरे प्रांतों में जाकर फसल कैसे बेचेंगे। तथ्य यह है कि किसान 40 किलोमीटर दूर मंडी में अपनी फसल नहीं ले जा पाता है।

इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जब से केंद्र में यह सरकार आई है तब से कभी नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन से देश में असंतोष भड़का रही है। मीडिया भी दबाव में हैं। इन विधेयकों को व्यापारियों और किसान संगठनों से वार्ता किये बिना लागू कर दिया गया, जबकि इसमें किसानों की सीधी भागीदारी है। 40-50 वर्ष पुराने कानूनों को एक झटके में उखाड़ फेंकने का निर्णय किया गया। आने वाले वक्त में क्या हालात बनने वाले हैं यह कल्पना से परे हैं। किसानों के हित कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब रक्षात्मक रवैया अपनाते हुए एमएसपी की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि ये विधेयक जिस तरह से पारित किये गये वह शर्मनाक है। न कोई प्रस्ताव रखा गया, न कोई चर्चा कराई गयी। न कोई संशोधन रखे गये। इसीलिये हमने देश के सामने अपनी बात रखी। अब पूरे देश में आंदोलन खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार राज्यों से जीएसटी पर किया गया वायदा पूरा नहीं कर रही तो वह किसानों से एमएसपी पर किया गया वायदा कैसे पूरा करेगी।

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