चंडीगढ़। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने आज मांग की कि केंद्र सरकार बिजली संशोधन विधेयक 2021 वापस ले और चंडीगढ़ व दादरा नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में जहां बिजली वितरण के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, बंद करे। एआईपीईएफ के प्रवक्ता ने आज यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली व बेहतर सेवा के नाम पर वितरक चुनने का विकल्प देने के बहाने बिजली विधेयक का असल मकसद बिजली वितरण का निजीकरण करना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि होगा यह कि बिजली वितरण पर क्षेत्र विशेष में चुने ऑपरेटर का एकाधिकार हो जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधेयक का मसौदा तैयार करते समय प्रमुख हितधारकों जैसे उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों को विश्वास में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि गैर भाजपा शासित प्रदेश विधेयक का विरोध कर रहे हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने मांग की है कि प्रधानमंत्री यह विधेयक वापस लें।
केरल के मुख्यमंत्री ने कहा है कि निजीकरण के बाद बिजली समाज के कमजोर तबकों के लिए बहुत महंगी हो जाएगी। उन्होंने विधेयक को प्रदेशों के अधिकारों का अतिक्रमण भी बताया है। एआईपीईएफ ने पंजाब सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया जिसमें जीवीके थर्मल प्लांट को टर्मिनेशन नोटिस देने और एनपीएल नाभा और टीएसपीएल तलवंडी साबो से बिजली खरीद समझौतों पर फिर से वार्ता करने को कहा गया है।