गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने बताया गया कि जिन किसानों के पास गन्ने की उपज क्राप कटिंग प्रयोगों की औसत उपज से अधिक है वे आवश्यकतानुसार उपज बढ़ोत्तरी के लिए अपने आवेदन पत्र निर्धारित शुल्क के साथ 30 सितम्बर, तक दे सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष जो कृषक ड्रिप इरीगेशन पद्वति से सिंचाई करते हैं उनको अतिरिक्त सट्टे में प्राथमिकता दी जाएगी तथा अतिरिक्त सट्टे में अस्वीकृत गन्ना प्रजातियों को सम्मिलित नहीं किया जाएगा। अतिरिक्त सट्टे के लिए किसी गन्ना आपूर्ति से सम्बन्धित समय सारणी के तहत प्रशासनिक शुल्क के रूप में धनराशि की कटौती नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष समिति स्तरीय सट्टा प्रदर्शन के दौरान प्राप्त आपत्तियों के निस्तारण के उपरान्त अन्तिम कैलेण्डर ई.आर.पी. की वेब साइट बंदमनचण्पद एवं मोबाईल ऐप पर ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों के लिए ई.आर.पी. एवं मोबाईल ऐप पर अन्तिम कैलेण्डर का प्रदर्शन चीनी मिल चलने के एक सप्ताह पूर्व कर दिया जाएगा। कम्प्यूटरीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत कृषकों के लिए सुलभ स्थान पर एक अतिरिक्त टर्मिनल लगा कर पूॅछ-ताछ केन्द्र स्थापित किया जाएगा। गन्ना आपूर्ति के सम्बन्ध में कोई विशेष तात्कालिक समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में जिला गन्ना अधिकारी एवं क्षेत्रीय उप गन्ना द्वारा नियमानुसार समस्या का त्वरित निराकरण कराया जाएगा।
श्री भूसरेड्डी ने बताया कि किसानों को शिकायत निवारण प्रणाली के तहत उत्कृष्ट सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से मुख्यालय स्तर पर एक कन्ट्रोल रूम की व्यवस्था की गयी है जिसमें स्थापित टोल फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर कृषक सीधे अपनी शिकायतें दर्ज कराकर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
आयुक्त ने बताया कि गन्ना कृषकों की मांग के चलते इस वर्ष सट्टा नीति में यह भी निर्णय लिया गया है कि यदि किसी सट्टाधारक सदस्य कृषक की मृत्यु पेराई सत्र के दौरान हो जाती है तो कृषक की आपूर्ति योग्य गन्ने की सामयिक खपत के दृष्टिगत उसका सट्टा चालू रखा जाएगा लेकिन यह सुविधा केवल वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 के लिए ही मान्य होगी। सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों, भूतपूर्व सैनिकों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके विधिक उत्तराधिकारियों को सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर गन्ना आपूर्ति में प्राथमिकता दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष जारी सट्टा नीति से डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा। बिचौलियों का उन्मूलन होकर वास्तविक कृषकों को ही गन्ना आपूर्ति का लाभ मिलेगा तथा छोटे गन्ना कृषक अपना गन्ना समय से चीनी मिल को आपूर्ति कर सकेंगे एवं अस्वीकृत प्रजातियों के स्थान पर कृषक उन्नतिशील गन्ना प्रजातियों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।