30 अक्टूबर को मंडी संसदीय, विस सीटों के लिए उपचुनाव

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा तथा तीन विधानसभा उप चुनावों के लिए तारीखों की घोषणा हो गई है। इसके तहत मंडी लोकसभा सीट पर उपचुनाव 30 अक्तूबर को होगा तथा कांगड़ा के फतेहपुर, सोलन में अर्की और शिमला के जुब्बल-कोटखाई विधानसभा उपचुनाव इसी दिन होगा। चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। आयोग के मुताबिक एक अक्तूबर को चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी होगी। नामांकन की अंतिम तारीख आठ अक्टूबर तय की गई है तथा 11 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की छंटनी होगी और 13 अक्तूबर नामांकन वापसी का दिन तय किया गया है।
इसके बाद 30 अक्तूबर को मतदान होगा। दो नवंबर को वोटों की गिनती होगी। पांच नवंबर से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। हिमाचल में मंडी संसदीय सीट पर सांसद रामस्वरूप शर्मा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद खाली हुई है। जबकि फतेहपुर में पूर्व मंत्री और विधायक रहे सुजान सिंह पठानिया का देहांत हो गया, जिसके बाद यह हलका तो उपचुनाव के लिए निर्धारित समय सीमा को पार करने लगा है। जुब्बल-कोटखाई में पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक रहे नरेंद्र बरागटा के देहांत के बाद यहां विधानसभा की सीट खाली हुई है।
अर्की में पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस विधायक वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद यह सीट रिक्त हुई है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में मंडी संसदीय क्षेत्र, जिसमें आदिवासी जिले और विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। यहां नवंबर महीने में बर्फबारी शुरू हो जाती है। यह क्षेत्र में राजस्थान के जसियालमैयर के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है, जिसमें मंडी, लाहौल स्पीति, चंबा, कुल्लू-शिमला, किन्नौर के 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। अर्की विधानसभा क्षेत्र के लिए राजस्थान से 320 ईवीएम पहुंचीं हैं। इससे पहले फतेहपुर के लिए 300 और जुब्बल-कोटखाई के लिए 280 ईवीएम आ चुकी हैं। मंडी लोकसभा सीट के लिए हरियाणा से 3600 ईवीएम मंगवाई जा चुकी हैं।
अर्की को छोड़कर बाकी सभी हलकों की फर्स्ट लेवल चेकिंग (एफएलसी) भी हो चुकी हैं। यह निरीक्षण राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, इंजीनियरों आदि की उपस्थिति में हो चुका है। ज्ञात रहे कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, सीट खाली होने के छह महीने के भीतर उपचुनाव कराया जाना चाहिए। हालांकि, इस साल कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के कारण उपचुनावों में देरी हुई है। अधिनियम की धारा 151-ए में प्रावधान है कि चुनाव आयोग, केंद्र सरकार के परामर्श से, उपचुनाव को स्थगित कर सकता है यदि यह प्रमाणित करता है कि इस अवधि के भीतर चुनाव कराना मुश्किल है।