बेंगलुरु। कोरोना संक्रमण के नये मामलों में कमी आने से आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के बदौलत चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर के 10 से 10.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के नये मामलों की संख्या में गिरावट आई है और विकास की संभावनाओं में निरंतर सुधार हो रहा है। अधिकांश राज्यों ने पहले ही आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों में ढील दी है। आबादी के एक बड़े हिस्से के टीकाकरण में हुई प्रगति के साथ ही आर्थिक गतिविधियों के गति पकड़ने की संभावना है।
इसके मद्देनजर वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक विकास दर के नौ प्रतिशत के अनुमान को बढ़ाकर 10 से 10.5 प्रतिशत कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कृषि, वानिकी एवं मत्स्ययन क्षेत्र की विकास दर 4.3 प्रतिशत, उद्योग की 14.5 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र की विकास दर 7.8 प्रतिशत रह सकती है। खनन में 17.5 प्रतिशत, विनिर्माण में 13.4 प्रतिशत, विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य यूटिलिटीज सेवाएं 10.1 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र के 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
इसी तरह कारोबार, होटल, परिवहन, भंडारण एवं संचार क्षेत्र 12 प्रतिशत, वित्तीय सेवाएं, रियल एस्टेट एवं पेशेवर सेवाएं 6.6 प्रतिशत तथा लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं 4.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण हुए व्यवधानों के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दूसरी लहर ने निर्माण क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। हालांकि इस क्षेत्र में व्यवधान पिछले साल की तुलना में अब बहुत कम है। हाल में औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आई है।
अक्टूबर 2021 में विनिर्माण पीएमआई में आठ महीने के उच्चतम स्तर 55.9 और सेवा पीएमआई 58.4 पर है। यह साढ़े दस वर्ष में सबसे मजबूत स्तर है। रिपोर्ट में कहा गया है, “कोरोना तीसरी लहर की घटती संभावना के बीच हम उम्मीद करते हैं कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के शेष भाग में बेहतर विकास दर्ज करेगी। टीकाकरण की तेज गति ने जोखिम को काफी सीमित किया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, खनिज उत्पादों, कच्चे माल की लगातार बढ़ती लागत और माल ढुलाई दरों, सेमी कंडक्टर आपूर्ति में व्यवधान तथा कोयले की आपूर्ति की कमी से उत्पन्न जोखिम विकास की गति को कम कर सकते हैं।”