एचएएल ने इसरो को सबसे भारी सेमीक्रायोजेनिक टैंक की आपूर्ति की

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बेंगलुरू। रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड(एचएएल) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) को अब तक के सबसे भारी सेेमी क्रायोजेनिक प्रणोदक टैंक की आपूर्ति कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सेमी क्रायो लिक्विड ऑक्सीजन टैंक अब तक का पहला विकासात्मक वैल्डेड हार्डवेयर है जो एससी 120 स्टेज का एक हिस्सा है जो मौजूदा एमके-तीन प्रक्षेपण वाहन की एल 110 स्टेज को परिवर्तित करता है जिससे प्रक्षेपण वाहन की भार क्षमता में इजाफा होता है।
पिछले वर्ष एचएएल ने इसरो को अब तक का सबसे बड़ा क्रायोजेनिक लिक्विड हाइड्रोजन टैंक दिया था जिसका व्यास चार मीटर है तथा इसकी लंबाई आठ मीटर है। एचएएल ने फेब्रिकेटिड वेल्डेड प्रणोदक टैंकों की तकनीक में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। अभी तक इसकी एयरोस्पेश डिवीजन ने इसरो को उसके अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए 244 प्रणोदक टैंक और 95 वाटर टैंकों की आपूर्ति की है तथा इनका आकार ढाई मीटर से आठ मीटर तक है।
इसरो के एक मजबूत रणनीतिक विश्वसनीय सहयोगी के तौर पर एचएएल पिछले पांच दशकों से उसे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए विभिन्न उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है। एचएएल ने इसरो को पीएसएलवी, जीएसएलवी-एमके तीन और जीएसएलवी -एमके तीन प्रक्षेपण वाहनों के लिए विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण उपकरणों, टैंकों और उपग्रह ढांचाें की आपूर्ति की है।
इसके अलावा पीएस2/जीएस2 इंटीग्रेशन, सेमी-क्रायो स्ट्रक्चर फैब्रिकेशन और क्रायो और सेमी क्रायो इंजनों के निर्माण जैसी कई नई परियोजनाएं एचएएल में शुरू की जा रही हैं, जिसके लिए बेहतरीन बुनियादी ढांचे की स्थापना और कमीशनिंग पूरी होने वाली है।
एचएएल ने क्रू माॅडयूल एटमोस्फेरिक रि एंट्री एक्सपेरीमेंट के विकासात्मक चरण के अलावा मानव मिशन से अंतरिक्ष यात्रियों के बाहर जाने वाले पीएडी अबार्ट टेस्ट के लिए इसरो को सहयोग दिया है और अब वह प्रतिष्ठित गगनयान कार्यक्रम के जीएसएलवी एमके 3 प्रक्षेपण वाहन के लिए हार्डवेयर की आपूर्ति के काम में जुटा हुआ है।