नयी दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मीडिया अधिकार टेंडर, जिसमें पहले से ही देरी हो रही है, के जारी होने में और समय लग सकता है। क्रिकबज के मुताबिक टेंडर जारी करने में लगातार हो देरी के तीन महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं, जिससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को लगभग 30 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसका पहला कारण 10वीं आईपीएल फ्रेंचाइजी को लेकर अनिश्चितता को माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीसीसीआई ने बीते दिनों एक बयान में कहा था कि सीवीसी स्पोर्ट्स ने अहमदाबाद फ्रेंचाइजी जीती है, लेकिन उसकी बोली में एक अड़चन आ गई है और इस कारण उसे अभी तक मंजूरी पत्र (लेटर ऑफ इंटेंट) जारी नहीं किया गया है। दूसरा कारण बीसीसीआई का नीलामी प्रक्रिया को लेकर असमंजस में होने काे समझा जा रहा है। दरअसल बोर्ड इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में है कि ई-नीलामी के लिए जाया जाए या बंद बोली का विकल्प चुना जाए। कुछ लोगों का तर्क है कि बंद बोली लगाने से उस पार्टी से बहुत अधिक राशि प्राप्त हो सकती है जो बोली के लिए बेताब है।
इसका एक सीधा उदाहरण संजीव गोयनका का आरपीएसजी समूह है, जिसने हाल ही में लखनऊ फ्रेंचाइजी के लिए किसी भी संभावित प्रतियोगी से बहुत ऊंची 7090 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। उसकी यह बोली दूसरी सबसे बड़ी बोली से 1500 करोड़ रुपए अधिक थी। समझा जाता है कि ई-नीलामी में उच्चतम बोली करीबी प्रतियोगी की तुलना में केवल थोड़ी ही अधिक हो सकती है, हालांकि ई-बोली के अपने फायदे भी हैं, खासकर तब जब कई पार्टियां हैं जो समान रूप से बोली के इच्छुक हैं।