लखनऊ: 7 जुलाई 24
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के वित्तीय सहयोग से “सालार मिल्लत एजुकेशनल वेलफेयर एंड सोशल सोसाइटी” द्वारा यूपी प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में “उर्दू सुलेख के प्रचार-प्रसार में मुंशी नवल किशोर का योगदान: एक जायजा” विषय पर गोष्ठी हुई। सेमिनार की अध्यक्षता प्रसिद्ध पत्रकार एवं स्तंभकार कुतुबुल्लाह ने की। उन्होंने कहा कि मुंशी नवल किशोर ने प्राच्य विज्ञान और सुलेख के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि मुंशी जी अपने पूर्ववर्तियों की महान वैज्ञानिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और विस्तार के लिए हमेशा चिंतित रहते थे।
मुख्य अतिथि डॉ. अकबर अली ने कहा कि मुंशी नवल किशोर का प्रयास एक व्यावसायिक संगठन से आगे बढ़कर एक बौद्धिक आंदोलन, सामूहिक आदर्शों की प्राप्ति के लिए शैक्षणिक और सांस्कृतिक परंपरा के स्तर पर निरंतर संघर्ष का केंद्र बन गया था। मुख्य अतिथि मौलाना जहांगीर आलम कासमी ने कहा कि मुंशी जी अपने धार्मिक मौलिक मूल्यों के साथ-साथ अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णु थे और इसे अपने व्यावसायिक मिशन से जोड़कर सभी को लाभ पहुंचाने में सक्रिय थे। उन्होंने सलाह दी कि उर्दू सुलेख को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है, इसलिए उर्दू अकादमी समेत अन्य संस्थाओं को कंप्यूटर की बजाय कुछ ऐसी किताबों को सम्मान देना चाहिए जो लिखकर छापी गई हों।
विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान मौलाना जकी नूर अजीम नदवी ने कहा कि मुंशी नवल किशोर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के सच्चे प्रतिनिधि और प्रवक्ता थे। उन्होंने लोगों को रोजगार से जोड़कर और खुशहाली को बढ़ावा देकर किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। यूपी उर्दू अकादमी के पूर्व अधीक्षक मुआज अहसान अख्तर ने कहा कि ऐसे विषय पर सेमिनार आयोजित करने के लिए संस्था और यूपी उर्दू अकादमी बधाई की पात्र है। उन्होंने बताया कि हमीदिया गर्ल्स कॉलेज में अकादमी द्वारा आयोजित सुलेख पाठ्यक्रम में बड़ी संख्या में लड़कियाँ सुलेख सीख रही हैं, इसके अलावा अकादमी द्वारा अन्य कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। थीसिस लेखक मेराजुल हसन नदवी, राशिद खान और अशरफ फिरदौसी नदवी ने उपरोक्त विषय पर एक व्यापक थीसिस प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत अब्दुल्लाह अवाब ने कुरआन की तिलावत से की। कार्यक्रम में मौलाना जहांगीर आलम कासमी ने महत्वपूर्ण हस्तियों और शोधार्थियों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम के संचालन का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार गफरान नसीम ने निभाया। अंत में संस्था के महासचिव तमीम कासिम ने सभी को धन्यवाद देते हुए इस बात पर जोर दिया कि मुंशी नवल किशोर के बिखरे हुए लेखों को संकलित कर प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि नई पीढ़ी उनके लेखन से लाभान्वित हो सके। इस अवसर पर फुरकान अहमद उर्फ मखमौर काकोरवी, सामाजिक कार्यकर्ता मुहम्मद खालिद, नदीम कासिम, आसिफ गाजी, ताबिश मंसूरी, डॉ. अमानत अली, शेख हमद, अमर खान, अदनान शमीम, अब्दुल रहमान नदवी, एडवोकेट उमर नदवी, अब्दुल मजीद, मुहम्मद बिलाल शेख, तौकीर क़दवई के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय के कई शोधार्थी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।