नीट पेपर लीक की पूरी कहानी

एजुकेशन

NEET पेपर लीक मामले को लेकर देश व्यापी आंदोलन हो रहा है। कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों ने भी भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि सरकार सख्त करवाई की बात कह रही है लेकिन मामला 24 लाख छात्रों और उनके परिवार से जुड़ा है। पेपर लीक को लेकर देशभर में हंगामा मचा हुआ है। इस बीच नीट कांड में तीन ऐसी जगहों के बारे में पता चला है, जहां से पेपर लीक की घटना को अंजाम दिया गया।

बिहार से लेकर झारखंड की राजधानी रांची और उत्तर प्रदेश के मेरठ तक नीट के असली मुजरिमों के बारे में पता लगाया है। इन तीनों ही जगहों के जरिए इस बारे में मालूम चलेगा कि आखिर कहां पर छात्रों को पेपर रटवाया गया और कहां सवालों के जवाब तैयार किए गए। फिर असली खेला शुरू होता है।

रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “हिंदुस्तान में लगातार पेपर लीक हो रहे हैं और नरेंद्र मोदी या तो उसे रोक नहीं पा रहे या रोकना ही नहीं चाहते। भाजपा शासित राज्य पेपर लीक का एपिसेंटर और शिक्षा माफियाओं की लैबोरेटरी बन गए हैं। भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।”

बिहार की राजधानी पटना से करीब 70 किलोमीटर दूर नालंदा में नीट कांड के मास्टरमाइंड का ठिकाना मौजूद है. नालंदा के नगरसौना गांव में नीट पेपर लीक के मास्टरमाइंड का घर है. पेपर लीक के मास्टरमाइंड का नाम संजीव मुखिया है. फिलहाल संजीव मुखिया फरार चल रहा है और ये पहली बार नहीं है, जब उसका नाम पिछले 20 सालों में कई बार अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक मामले में आ चुका है।

संजीव मुखिया का बेटा भी पेपर लीक में जेल में बंद

संजीव मुखिया के भाई राजीव कुमार ने बताया कि घर का बंटवारा हो चुका है. अब वह कहां रहता है, इस बारे में मालूम नहीं है. उससे अब बात भी नहीं होती है. मिली जानकारी के मुताबिक, संजीव की पत्नी पटना में रहती है. उसका बेटा शिव डॉक्टर है और वह अभी एक दूसरे पेपर लीक कांड में जेल में है. गांव में संजीव का कच्चा घर मौजूद है, जिस पर ताला लटका हुआ है. लोगों ने बताया कि मुखिया गांव में आता है, लेकिन एक-दो घंटे रुककर निकल जाता है।

संजीव करीब 20 साल से इस धंधे में है. पहले सॉल्वर गैंग का सदस्य रह चुका है. पुलिस संजीव मुखिया को गिरफ्तार भी कर चुकी है और वो जेल भी जा चुका है, लेकिन फिलहाल वह नीट पेपर लीक कांड का वो चेहरा है, जिसकी तलाश हर कोने में की जा रही है।

पेपर लीक कांड में संजीव की भूमिका

संजीव मुखिया पेपर लीक का सरगना है, जिसके नीचे अमित आनंद और नीतीश काम कर रहे थे. अमित आनंद वो शख्स है, जो पेपर लीक के काले धंधे में पहले से जुड़ा है, साधारण शब्दों में इसे सेटर समझिए जो सरगना और मीडियटर के बीच की कड़ी है. नीतीश अमित आनंद का दोस्त है और इस कांड में इन दोनों के नीचे था सिकंदर. मीडिएटर की भूमिका निभा रहे सिकंदर ने अनुराग और आयुष जैसे कई अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया था।

अनुराग और आयुष तक पेपर के जवाब कैसे पहुंचे वो भी समझना जरूरी है. यहां दो और किरदारों की एंट्री होती है चिंटू और पिंटू. चिंटू के मोबाइल पर पेपर के जवाब आए थे. चिंटू ने जवाब पिंटू को दिए और  फिर प्रिंटर साथ लेकर चल रहे पिंटू ने सारे सवालों के जवाब प्रिंट किए।

नीट कांड के दो अड्डे

नीट पेपर लीक कांड का पहला अड्डा है, पटना का लर्न एंड प्ले स्कूल. चिंटू-पिंटू के जरिए भेजे गए सवालों के जवाब रातों रात पटना के लर्न एंड प्ले स्कूल भेजे गए, जहां पहले से मौजूद अनुराग और आय़ुष जैसे छात्रों ने जवाब का रट्टा मारा और अगली सुबह एग्जाम देने गए. नीट पेपर लीक कांड में वैसे तो 22 साल का अनुराग यादव लीक पेपर के जरिए एग्जाम देने वाला अभ्यर्थी है, लेकिन उसके नाम पर बिहार की राजनीति में उबाल आया हुआ है।

अनुराग के नाम पर उबाल क्यों आया है, उसे भी समझने की जरूरत है, क्योंकि उसके जरिए ही आपको दूसरे अड्डे के बारे में मालूम चलेगा. 4 मई को अनुराग पटना के एक सरकारी गेस्ट हाउस में अपनी मां के साथ पहुंचा था. इसी गेस्ट हाउस ने नीट घोटाले के तमाम राज खोल दिए हैं. दरअसल, अनुराग की रजिस्टर में हुई एंट्री के आगे मंत्री जी लिखा हुआ था. अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि वो मंत्री जी कौन है?

पेपर लीक की बात कुबूल

बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी यादव के पीएस प्रीतम ने गेस्ट हाउस के केयर टेकर प्रदीप को फोन किया और फिर प्रदीप ने फोन पर हुई बातचीत के बाद अनुराग के ठहरने का इंतजाम किया. गेस्ट हाउस बुक करने के लिए फोन करने वाले तेजस्वी यादव के पीएस प्रीतम कुमार सरकारी अधिकारी हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है प्रीतम कुमार से नीट घोटाले की जांच कर रही पटना ईओयू की टीम पूछताछ करने वाली है।

तेजस्वी को पूछताछ से दिक्कत नहीं है ,लेकिन यहां वो सिकंदर का बचाव करते भी दिखाई दे रहे हैं. अनुराग ने भी अपना अपराध कबूल लिया है. अनुराग कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रहा था. अनुराग ने कबूलनामे में कहा है कि उसके पास फूफा सिकंदर का फोन आया था. फिर वह कोटा से वापस आ गया और वह अमित आनंद और नीतीश के पास पहुंच गया. उसने कहा कि आनंद और नीतीश के पास नीट की परीक्षा प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका दी गई. मुझे रटवाया गया और जब मैं सेंटर पहुंचा तो वही प्रश्न पत्र मिला जो रात में रटा था. परीक्षा के बाद पुलिस आई और मुझे पकड़ लिया।

NEET पेपर लीक का तीसरा अड्डा

नीट पेपर लीक का तीसरा अड्डा पटना का एक फ्लैट है. शहर के कुलदीप विमादित्य पैलेस में स्थित फ्लैट नंबर 202 है, जहां नीट पेपर लीक की पूरी साजिश रची गई थी. यहां पर करोड़ों रुपये की फ्लैट की डीलिंग हुई थी. इसी फ्लैट से पुलिस को जले हुए क्वेश्चन पेपर मिले थे. साथ ही कई और अहम दस्तावेज पुलिस ने बरामद किए थे. ये नीट पेपर लीक के सरगना अमित आनंद का फ्लैट है।

मुंगेर का रहने वाला अमित आनंद पेपर लीक के धंधे में लंबे समय से जुड़ा है. गया का नीतीश इसका दोस्त है और दोनों संजीव मुखिया के चेन के अहम किरदार हैं. अमित आनंद और नीतीश ने कबूला है कि दानापुर के नगर परिषद दफ्तर में उनकी मुलाकात सिकंदर से हुई थी. सिकंदर इसी नगर परिषद में जेई था. अमित और नीतीश निजी किसी काम से यहां गए थे और फिर बातों-बातों में सिकंदर से नीट परीक्षा में पास कराने की डील हुई।

अब तक आपने जिन चेहरों की कुंडली इस रिपोर्ट में देखी ये वो नाम हैं, जिनके लिंक नीट पेपर लीक कांड में मिल चुके हैं. मगर इस पूरे कांड में एक और नाम है जिस पर सबसे ज्यादा शक हो रहा है. इस शख्स का नाम रवि अत्री है, जो यूपी के गौतमबुद्धनगर के जेवर थाना का रहने वाला है. उसे पेपर लीक का सबसे बड़ा माफिया कहा जाता है.

रवि अत्री यूपी की मेरठ जेल में बंद है और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रवि अत्री के गैंग ने ही पटना और नालंदा के बॉर्डर से नीट परीक्षा का पेपर लीक कराया था. दरअसल, बिहार के नालंदा का रहने वाला संजीव मुखिया रवि अत्री का ही गुर्गा है. रवि अत्री पहले भी मेडिकल एंट्रेस एग्जाम के पेपर लीक करा चुका है और संजीव मुखिया का नाम सामने आने के बाद रवि अत्री पर शक की सुई घूम चुकी है.

नीट पेपर लीक की लेकर राहुल गांधी छात्रों से मुलाकात कर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी बहुत सारे पेपर लीक के मामले सामने आए लेकिन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

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