विजयवाड़ा। आंध्र प्रदेश की सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों में ‘संयोजक’ कोटे के तहत 35 फीसदी सीटाें को आरक्षित रखने और विश्वविद्यालयों द्वारा ली जाने वाली फीस को तय करने का फैसला लिया है। युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी ने यह अहम कदम उठाया है ताकि शिक्षा की पहुंच सभी तक आसानी से हो और निम्न तथा मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाले मेधावी विद्यार्थियों को कोई परेशानी न हो।
पिछले काफी समय से निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फीस की मोटी रकम वसूली जा रही है, इसके बोझ तले निम्न व मध्यम वर्गीय विद्यार्थी दब जाते हैं और उन्हें बेहतर शिक्षा पाने में कठिनाई होती है। ॲप्सचे (आंध्र प्रदेश स्टेट काउंसिल ऑफ़ हायर एजुकेशन) के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमाचंद्र रेड्डी ने यहां बुधवार को अपने एक बयान में कहा कि पहले बताई गई समस्याओं का हल निकालने के लिए राज्य सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों में ‘संयोजक’ कोटा के तहत 35 फीसदी सीट को आरक्षित रखने और इनके द्वारा ली जाने वाली फीस को तय करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि ये 35 प्रतिशत सीटें राज्य स्तर पर आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर सरकार द्वारा उम्मीदवारों को आवंटित की जाएंगी। किसी भी विश्वविद्यालय को अधिक फीस वसूलने या कोटे के तहत आरक्षित सीटे किसी और को देने का अधिकार नहीं होगा। हालांकि, जब यूजीसी के नियामक निकाय के रूप में डीम्ड विश्वविद्यालयों की बात आती है, तो यह नीति लागू नहीं होगी, लेकिन सरकार द्वारा यूजीसी को पहले ही इस बात की सूचना दे दी गई है कि निकाय सरकार को ऐसा करने की अनुमति प्रदान करें और उन्हें इस मामले पर जवाब मिलने का इंतजार है।
फीस तय करने के अलावा, सरकार ‘जगन्ना विद्या दीवेना’ के तहत उन विद्यार्थियों की फीस का भुगतान भी करेगी, जो अपनी फीस भर पाने के लिए सक्षम नहीं हैं। श्री रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी का लक्ष्य राज्य के हर एक विद्यार्थी को सुगम और सुलभ शिक्षा प्रदान करना है।