published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता) : उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे एवं उसके गुर्गों की मुठभेड़ की जांच के लिए गठित आयोग को पुनर्गठित करने की अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं -घनश्याम उपाध्याय एवं अनूप कुमार अवस्थी- की दलीलें सुनने के बाद याचिकाएं खारिज कर दी। याचिकाकर्ताओं ने आयोग में शामिल पूर्व पुलिस महानिदेशक के. एल. गुप्ता की निष्ठा पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें आयोग से हटाने और उनकी जगह किसी और को रखने का न्यायालय से अनुरोध किया था।
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याचिकाकर्ताओं में से एक घनश्याम उपाध्याय ने आयोग में शामिल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल पर भी सवाल खड़े किये थे। खंडपीठ उनकी दलीलों से संतुष्ट नजर नहीं आयी और शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की अध्यक्षता वाले आयोग को पुनर्गठित करने का अनुरोध ठुकरा दिया।
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