-फर्जी डाक्टर की करतूत शहर में बनी चर्चा का विषय
-इलाज कराने आई लड़की को हवश का शिकार बनाने की कोशिश
उत्तराखण्ड ब्यूरो
ऋषिकेश। ये एक ऐसा वाक्या है कि किसी भी सभ्य नागरिक को सच्चाई बयान करने में जीभ कट जाने सा आभास होगा। नाम पता और पहचान इसलिए भी उजागर करने में हिचक है कि पीड़िता और उसका परिवार की अस्मिता को चोट पहुचेगी। सामाजिक जिम्मेदारी के कारण वाजिब यही है कि हवश के पुजारी का ज़मीर जगाने के लिए पूरी सच्चाई को कहानी की शक्ल में पिरोया जाए। जिससे नेत्री और उसके भ्रष्ट पति के दोहरे चरित्र की बानगी से लोग परिचित हो सकें। बेशर्मी की पराकाष्ठा तो ये है कि फर्जी डाक्टर ने जिस कन्या पर नियत खराब की उस उम्र की खुद की उसकी बेटियां हैं।
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…तो आइए आपको पटकथा और उसके किरदारों की ओर ले चलते हैं। इसमें एक सत्तानशीं महिला नेत्री है, सिक्के का दूसरा पहलू उसका फर्जी डाक्टर पति है। दूसरे हिस्से का पात्र एक पूर्व सभासद और उसकी सुंदर , सुशील पुत्री है। तीसरी जमात में तीर्थनगरी के गणमान्य लोग शामिल हैं।
सत्य पर आधारित कहानी ये है कि सत्ता के नशे में चूर एक नेत्री है। उसका पति फर्जी डाक्टर है। कुछ दिन पूर्व तीर्थ नगरी के एक सम्मानित परिवार की सुंदर सुशील बेटी अपना इलाज कराने उसी फर्जी डाक्टर के क्लिनिक पहुँची। यहां फर्जी डाक्टर का आदतन मन डोल गया और उसने कन्या पर हाथ फेर दिया। चूंकि कन्या खुद एक नामचीन मेडिकल इंस्टिट्यूट की इम्प्लाई है और उसकी माता पूर्व राजनीतिक पदाधिकारी और पिता शहर के सम्मानित व्यवसायी हैं। कन्या बड़े भरोसे के साथ तमाम नामचीन संस्थानों को नजरअंदाज कर अपना इलाज फर्जी डाक्टर से कराने आई थी।
कहानी अभी जारी है…..
फर्जी डाक्टर की अचानक वहशी और हवश से लपलपाती जीभ देख कन्या अवाक रह गई। प्राइवेट पार्ट पर हाथ लगाते ही कन्या चीखते हुए क्लिनिक से बाहर भागी। उम्मीद के परे ये मंजर देखते ही फर्जी डाक्टर के तोते उड़ गए। तारीफ़ की बात ये की कन्या फर्जी डाक्टर और उसकी सत्ता में बैठी पत्नी के प्रभाव में आये बिना अपनी सुचिता बचाने में जुट गई। बौखलाई कन्या ने धमकी दी कि वह इस निर्लज्जता और दुस्साहस की रिपोर्ट ऋषिकेश कोतवाली में दर्ज कराएगी। इतना कहकर कन्या फूलती सांसों और असुरक्षा का अहसास समेटे घर पहुँची। घटना की पूरी जानकारी मां जो कि पूर्व में राजनीतिक पद पर रही है उसे दी। आखिरकार फर्जी डाक्टर की करतूत कन्या के पिता को भी पता चली। कन्या और उसके परिवार ने तय किया कि फर्जी डाक्टर का काला चिठ्ठा थाने में खोलेंगे। इस बीच हवश के पुजारी फर्जी डाक्टर ने सारा घटनाक्रम अपनी प्रतिष्ठित पद पर आसीन पत्नी को काट छांट कर बताया। मजे की बात ये कि प्रतिष्ठित पद पर टिकी महिला अपने पति की हरकतों से बखूबी परिचित है। लिहाजा उसने घर परिवार से ज्यादा अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बचाने की घुड़दौड़ शुरू की।
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आननफानन में पीड़ित कन्या और उसके परिवार से संपर्क किया। इतना ही नहीं पीड़िता और उसके माता पिता के पैरों में गिरकर पति की करतूत के लिए माफी मांगी।आखिरकार पीड़ित परिवार की भी सामाजिक बदनामी की मजबूरी थी सो ज्वालामुखी फिलहाल दब गया है। इन सब हालातों के बीच बेलगाम स्थिति तब पैदा हुई जब कन्या चीखते हुए फर्जी डाक्टर के चंगुल से बाहर सड़क पर आई। इस दौरान कुछ पत्रकारों को मामले की भनक भी लग गई। पूरी घटना से शर्मनाक तो ये हुआ कि पत्रकारों ने कन्या के साथ हुई वारदात का सौदा कर लिया। ये सौदागर पत्रकार वही हैं जो फर्जी डाक्टर की प्रतिष्ठित संवैधानिक पद पर बैठी उसकी पत्नी के खैरख्वाह बनते हैं। उसे भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि ये सौदागर पत्रकार उसके घड़ियाली आंसुओं का सौदा कर डालेंगे। खैर फर्जी डाक्टर, संवैधानिक पद पर बैठी उसकी पत्नी, पीड़िता सहित उसके परिवार और लंगड़े नाम से कुख्यात पत्रकार की चर्चा ऋषिकेश शहर में चहुँओर है। सुना है इस घटना की शिकायत नेत्री के राजनीतिक संगठन और दुनिया के सबसे बड़े स्वयं सेवी संगठन में भी होने वाली है।
वर्षों से चल रहा गोरखधंधा
पको याद होगा कि त्रिवेंद्र कार्यकाल में एक बार शासन ने क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने का अभियान चलाया था। फिलहाल वो मिशन पावरफुल लॉबी के दबाव में मेडिकल वेस्ट बनकर रह गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि कन्या से छेड़छाड़ का आरोपी फर्जी डाक्टर के पास न तो उपयुक्त शैक्षिक डिग्री है न ही क्लिनिक का लाइसेंस। इसके बावजूद मां चन्द्रबदनी की कृपा से सारा गोरखधंधा कई वर्षों से चल रहा है। हो भी क्यों न…जिसकी घर वाली राजनीतिक रसूख रखती हो मुख्यमंत्री तक पहुँच हो उसका क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट क्या उखाड़ पायेगा। इतना ही नहीं जिस फर्जी डाक्टर पर कन्या के शोषण का आरोप लगा वह दुनिया के सबसे बड़े एक संगठन से भी जुड़ा है। जाहिर है ऐसे वहशी और फर्जी लोग उस नामचीन संगठन की सुचिता ले लिए भी खतरा हैं। देखने वाली बात ये होगी कि फर्जी डाक्टर के क्लिनिक पर कार्रवाई जीरो टॉलरेंस के तहत कब हो पाती है। या फिर मां चन्द्रबदनी के आशीर्वाद से फर्जीवाड़ा यूं ही चलता रहेगा।
जब लुटेरे बने बाराती तो कैसे बचें आबरू
लुटेरे ही बाराती बन जाएं तो दुल्हन की आबरू कैसे बच सकती है। ये वैसे ही है जैसे पोस्टरों में बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ और नारी सशक्तिकरण का नारा फलीभूत हो रहा है। हास्यास्पद तो ये है कि ऋषिकेश की नेत्री अपने फर्जी डाक्टर की करतूत को छुपाने के लिए पीड़ित परिवार के चरणों मे साष्टांग हो जाती है। बजाय इसके कि एक बेटी के साथ हुए कुकृत्य पर अपने पति को धिक्कारती। फिलहाल ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि नेत्री पूरी तरह वाकिफ है कि फर्जी डाक्टर कई वर्षों से नीचता के दलदल में धसा हुआ है। नेत्री भी अपने पति की हरकतों से नज़र फेरे रहती है। वैसे भी राजनीति में यह माना जाता है कि पद लालसा की पूर्ति के लिए कुछ भी दांव पर लगाया जा सकता है।