published by Aprajita
लखनऊ ; अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम की जन्मस्थली पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये मकर संक्रांति से देश भर में घर घर जाकर सहयोग मांगने का काज शुरू किया जायेगा।श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों को बताया कि समाज के सहयोग से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण साकार होगा। धर्म,मर्यादा,चरित्र और संस्कार के स्वरूप में श्रीराम के मंदिर से जुड़ने का अभियान मकर संक्रांति से प्रारम्भ होगा जो माघ पूर्णिमा तक चलेगा। घर घर जाकर सहयोग मांगने के इस कार्य के पीछे निहितार्थ है कि प्रभु श्री राम के काज से हर एक व्यक्ति को जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो।
उन्होने कहा कि श्रीरामजन्म भूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया। अदालत के निर्देश पर केन्द्र सरकार ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नाम से ट्रस्ट का गठन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में पूजन करे मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है। संताें ने पहले मंदिर का आकार छोटा ही सोचा था लेकिन उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार सरकार ने 70 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दी है जिसके बाद मंदिर का आकार यानी लम्बाई,चौड़ाई और ऊंचाई बढाई गयी।
अब मंदिर की लम्बाई 360 फिट,चौड़ाई 235 फिट होगी। मंदिर तीन मंजिला होगा। हर मंजिल 200 फिट की होगी। भूतल से मंदिर का फर्श 16.5 फिट ऊंचा होगा जबि शिखर से यह ऊंचाई 161 फिट होगी। मंदिर के चारों ओर सुरक्षा दीवार यानी परकोटा पांच एकड़ में बनेगी। पत्थरों से बनने वाले मंदिर में करीब चार लाख क्यूबिक फुट पत्थर का इस्तेमाल होगा। इसमें 70 से 75 हजार क्यूबिक फिट पत्थर 1990 से 2006 के बीच कार्यशाला में तराश कर पहले ही रखे जा चुके हैं जिनकी सफाई का काम चल रहा है।
श्री राय ने बताया कि मंदिर की नींव के लिये धरती से नीचं 200 फिट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य में संभावित भूकंप के प्रभाव का अध्य्यन हुआ है। जमीन के नीचे 200 फिट तक भुरभुरी बालू पायी गयी है। गर्भगृह के पश्चिम से कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरोंके मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी बंबई,आईआईटी दिल्ली,आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहटी,केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की,लार्सन टूब्रो और टाटा के इंजीनियर विचार विमर्श कर रहे हैं।
बहुत जल्द नींव का प्रारूप तैयार होकर निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा।
उन्होने बताया कि देश की मौजूदा पीढ़ी को श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने की योजना बनी है। देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई के बारे में बताने के लिये देश के प्रत्येक कोने में घर घर जाकर संपर्क किया जायेगा। अरूणाचल प्रदेश,अंडमान निकोबार,रणकच्छ,त्रिपुरा सभी कोनो पर जायेगे,समाज को रामजन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिये साहित्य दिया जायेगा। देश में समाज की गहराई तक इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने।
जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे,सतत सक्रिय रहे,सहयोग किया,उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मंदिर बने। स्वाभाविक है कि जब जनसंपर्क होगा,लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्लों में जायेंगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पित करेगा। भगवान का काम है,मंदिर भगवान का घर है, भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता, समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे। आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। पारदर्शिता बनाये रखने के लिये हमने दस रूपया,सौ रूपया और एक हजार रूपये के कूपन और रसीदें छापी हैं। समाज जैसा देगा, उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन और रसीद देंगे। करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा।