दागी कंपनियों पर मेहरबान पशुपालन विभाग

उत्तर प्रदेश टॉप -न्यूज़ लखनऊ न्यूज़ हेल्थ

– अधोमानक स्तर की औषधि सप्लाई करने वाली कई कंपनियां विभाग में फिर कर रहीं एंट्री
– बेजुबान जानवरों की जिंदगी से क्यों हो रहा खिलवाड़
– इस खेल के पीछे किसका है स्वार्थ और किसका है हांथ

एस.वी.सिंह उजागार

लखनऊ। पशुपालन विभाग अधोमानक स्तर (मिस ब्राण्डिंग) की दबा सप्लाई की दोषी फार्मा कंपनियांे पर काफी मेहरबान दिखाई दे रहा है। घटिया उत्पाद बेचने और बनाने को लेकर विभाग पहले प्रतिबंध लगाता है और बाद में उन्ही कंपनियों को अपने यहां दोबारा माल सप्लाई करने की परमीशन भी देता है। प्रतिबंध लगाने और पुनः बहाल करने के पीछे का खेल क्या है, इसे समझना इतना मुशिकल काम भी नही है। सूत्रों की माने तो पशुपालन विभाग में यह खेल वर्षों से खेला जा रहा है।
घटिया माल बेचने की आरोपी ऐसी ही कई कंपनियों को पशुपालन विभाग में दोबारा दबा सप्लाई करने की इजाजत मिल चुकी है जिनकी दबाईयों को उत्तर प्रदेश राजकीय जन विष्लेषक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में अधोमानक स्तर (मिथ्या छाप) घोषित किया गया था।
इन कंपनियों में वेटइण्डिया फार्माक्युटिकल लि. का नाम खासा चर्चा में है।

 प्रतीकात्मक फोटो

हैदराबाद की इस फार्मा कंपनी की दबा आक्सी टेट्रासाइक्लिन इंजेक्शन बैच नं0 एक्स वाई जीरो सात सौ एक जिसके निर्माण की तिथि जनवरी 2007 तथा एक्सपायरी दिसम्बर 2008 थी। पशुपालन विभाग द्वारा उक्त दबाई के सैंपल को राजयकीय विश्लेषक प्रयोगशाला उ0प्र0 में परीक्षण के लिए भिजवाया । जांच के दौरान उस दबा का सैंपल अधोमानक स्तर का पाया गया। राजयकीय विश्लेषक प्रयोगशाला उ0प्र0 द्वारा सितम्बर 2009 को जारी जांच रिपोर्ट के आधार पर पशुपालन विभाग के तत्कालीन निदेशक डिजीज कन्ट्रोल एवं प्रक्षेत्र ने वेटइण्डिया फार्माक्युटिकल लि. कंपनी को विभाग में किसी भी तरह का व्यापार करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।
यही नही तत्कालीन निदेशक ने कंपनी की जो भी दबाईयां उस दौरान सप्लाई की गयी थी उस धनराशि को रिटर्न करने का आदेश भी जारी किया था। बीते 1 फरवरी 2021 को वेटइण्डिया फार्माक्यूटकल लि. पर से विभाग ने बैन हटा लिया है,
यानि अब वह कंपनी पशुपालन विभाग में दबाईयां सप्लाई कर सकती है। हलांकि प्रतिबंध के दौरान कंपनी ने कितने रूपये की दबा सप्लाई की थी, क्या उसने वह धनराशि लौटायी या नही इस पर विभागीय अधिकारी खामोशी अख्तियार किये हुए हैं।
जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई भी अधिकारिक बयान देने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि उस कंपनी ने विभाग को कोई दबा सप्लाई नही की थी। सवाल उठता है कि जब कंपनी ने कोई भी दबा विभाग को सप्लाई की ही कौन सी धनराशि को लौटाने की बात की जा रही थी।

पहले घबड़ाए, फिर बड़बड़ाए, फिर बताए निदेशक डिजीज कन्ट्रोल

डॉ आर.पी. सिंह निदेशक रोग एवं प्रक्षेत्र पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश  फोटो (फोटो सिंधु टाइम्स)

पशुपालन विभाग के निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डा. आर.पी.सिंह से जब इस संम्बन्ध में संवादाता ने बात की तो पहले वह घबड़ा गये कि उनके विभाग में इस नाम की कंपनी को न तो कभी प्रतिबंधित किया गया और न ही कभी बहाल किया गया।
फिर उन्होने मातहतों को दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा, बाद उन्होने माना कि हां इस कंपनी को विभागीय प्रतिबंध से मुक्त किया गया है लेकिन उन्होने यह प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हटाया है।
कंपनी ने हमारे आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे माननयी सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए हमारे आदेश को रद्द कर दिया।

क्या है पूरा मामला-

  • * सूत्रों की माने तो वर्ष 2008 में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के एक मंत्री ने अपनी चहेती फर्म को पशुपालन विभाग में दबा सप्लाई कराने का टेण्डर दिलवाने के लिए कम्पटीटिव कंपनी वेटइण्डिया फार्माक्युटिकल लि. के एक इंजेक्शन का नमूना परीक्षण के लिए विभागीय अधिकारी की सांठगांठ से राजकीय विश्लेषक प्रयोगशाला उ0प्र0 में टेस्टिंग के लिए भिजवा दिया।
    * सितम्बर 2009 में राजकीय विश्लेषक प्रयोगशाला नें उक्त नमूने को अपनी जांच में अधोमानक स्तर का घोषित कर दिया।
    *  पशु पालन विभाग ने उस रिपोर्ट के आधार पर वेटइण्डिया फार्माक्युटिकल लि. को विभाग में किसी भी तरह का व्यापर करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
    *  प्रतिबंध हटाने को लेकर वह कंपनी के लोग काफी दिनों तक विभागी अधिकारियों और सरकार के मंत्रियों के पास चक्कर लगाते रहे।
    *  जब बात नही बनी तो कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में विभागीय ओदेश के खिलाफ रिट दायर की जिसे माननीय उच्च न्यायलय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, याचिका कर्ता ने अपील करने में इतनी देर क्यों की।
    *  माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, जहां विभाग के अधिकारियों ने लचर पैरवी की या यू कहिए की पैरवी ही नही की। माननीय उच्चतम न्यायालय ने वन साइडेड फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद उच्च नयायालय के फैसले को रद्द कर दिया।
    *  माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले को आधार मानकर 01 फरवरी 2021 को नविनियुक्त निदेशक डिजीज कन्ट्रोल एवं फार्म ने वेटडण्डिया फार्माक्यूटिकल लि. को विभाग में दबा सप्लाइ्र्र के लिए लगे प्रतिबंध से मुक्त कर दिया।

एक दर्जन प्रतिबंधित कंपनियां हैं दोबारा एंट्री की जुगाड़ में-

पशुपालन विभाग में लगभग एक दर्जन ऐसी कंपनियां है जो अधोमानक स्तर की औषधि सप्लाई के दोषी पायी गयी तथा जिन्हे प्रदेश में किसी भी सरकारी विभाग में सप्लाई पर रोक हैं इनमें से कुछ कंपनियों पर प्रतिबंध हट चुके हैं और कुछ कंपनिया बैकसाडड एंट्री की जुगाड़ में हैं।
सप्लाई औार कमाई के खेल में प्रतिबंध और बहाली का खेल भी चलता रहेगा। आज कल इंसान के जान की परवाह किसे है जो बेजुबान पशुओं के स्वास्थ्य की परवाह करने लगेगा। नोटो की गड्डियों में इतनी तासीर होती है की यह किसी भी जांच की दिशा बदल सकती है। आखिर कौन ऐसी कंपनी होगी जो करोड़ों रूपये की दबा सप्लाई से हांथ धोना चाहेगी। इस लिए वह दबा की क्वालिटी ठीक करंे या न करें विभाग के अधिकारी ठीक बने रहें कारोबार चलता रहेगा।

यह भी पढ़ें – https://sindhutimes.in/animal-malik-director-administration-and-development-has-come-into-action-mode-as-soon-as-he-takes-charge/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *