published by saurabh
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नयी दिल्ली,(वार्ता): केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय का कहना है कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के संक्रमण की जांच गति तेज करने से संक्रमितों की पहचान जल्द हो जा रही है, जिससे देश में सक्रिय मामलों की दर तेजी से घटी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने आज प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि मार्च में जब लाॅकडाउन की शुरुआत हुई थी, उस वक्त देश में सक्रिय मामले की दर 88.83 प्रतिशत थी। दो जून तक सक्रिय मामलों की दर घटकर 49.11 प्रतिशत हो गयी और वर्तमान में यह 28.21 प्रतिशत रह गयी है। श्री भूषण ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति 10 लाख आबादी 140 कोरोना टेस्ट प्रतिदिन करने का मानक तय किया था लेकिन देश में प्रति 10 लाख आबादी औसतन 506 टेस्ट प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी किये जा रहे हैं। देश के कई राज्यों में कोरोना जांच की गति राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। गोवा में प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी 1,577 टेस्ट, दिल्ली में 1,034 टेस्ट, तमिलनाडु में 874, असम में 708, कर्नाटक में 638, जम्मू-कश्मीर में 615, उत्तराखंड में 608, ओडिशा में 529 और बिहार में 519 टेस्ट किये जा रहे हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी कोरोना जांच के मामले राष्ट्रीय औसत से कम हैं। महाराष्ट्र में प्रतिदिन प्रति 10 लाख आबादी 501 टेस्ट, केरल में 495, उत्तर प्रदेश में 398, पंजाब में 395, गुजरात में 389, तेलंगाना में 337, राजस्थान में 310, पश्चिम बंगाल में 256, झारखंड में 226, मध्य प्रदेश में 222, हिमाचल प्रदेश में 213 और छत्तीसगढ़ में 203 टेस्ट हो रहे हैं। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि जिन राज्यों में पॉजिटिविटी दर अधिक है और वहां कोरोना टेस्ट राष्ट्रीय औसत से अधिक है, फिर भी उन्हें जांच की गति बढ़ाने की सलाह जाती है। उन्होंने कहा कि पॉजिटिविटी दर में बढ़ोतरी इस बात का द्योतक है कि वहां कोरोना जांच पर्याप्त संख्या में नहीं हो रहा और ऐसे मामले गंभीर हो जाते हैं, जिनके कारण मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है और इससे मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है।
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