published by saurabh
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आज़मगढ़(ST News): युग चाहे जो भी रहा हो मानव जाति की कल्याण के लिए हर युग कोई न कोई महान व्यक्तित्व आगे आया है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की फूलपुर तहसील में स्थित महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने अपना शरीर भारत सरकार के चिकित्सकों को परीक्षण के मद्देनजर इसलिए दान किया है ताकि कोरोना जैसी महामारी पर रोकथाम लग सके।
कोरोना की महामारी से भारत ही नही पूरी दुनिया में लोग दहशत भरे साये में जी रहे है । वैक्सीन बनाने के दावे भी किए जा रहे हैं लेकिन मानव पर परीक्षण के लिए अभी तक कोई आगे नहीं आया था ।
इस युवक का नाम प्रांजल जायसवाल है जो फूलपुर नगर पंचायत क्षेत्र का निवासी है प्रांजल का परिवार पेशे से व्यवसाय करता है। प्रांजल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सक्रिय कार्यकर्ता है । प्रांजल को इतने बड़े त्याग के बाद उनके चेहरे पर भय तिलमात्र भी नहीं है । प्रान्जल ने शुक्रवार को यहां बताया कि इसके लिये सरकार की तरफ से उसे मंजूरी मिल गई है। उसका गोरखपुर में पहला टेस्ट हो चुका है। अभी उसके कई टेस्ट बाकी है । प्रांजल का कहना है कि वैक्सीन की परीक्षण के लिए मानव शरीर की आवश्यकता थी जिसके लिए उसने अपना शरीर परीक्षण के लिए दिया है और गोरखपुर में इसका प्राथमिक परीक्षण भी हुआ है जो सफल रहा । आजमगढ़ वैसे भी महापंडित राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफ़ी आज़मी जैसे महान साहित्यकारों शिक्षाविदों के नाम से पूरे दुनिया में विख्यात है । आजमगढ़ के युवक प्रांजल जायसवाल ने जो फैसला किया है इससे आजमगढ़ का भारत ही नहीं विश्व पटल पर मान बड़ा है । हालांकि उसके इस फैसले से उसके परिजन चिंतित जरूर हैं , लेकिन देश की खातिर उसके द्वारा लिए गए निर्णय से अपने आपको गौरवान्वित भी महसूस कर रहे हैं । प्रांजल ने मानव जाति के कल्याण के लिए अपनी जिंदगी की परवाह किए बगैर अपने शरीर को कोरोनावायरस की रोकथाम के लिये वैक्सीन के परीक्षण के लिए अपने शरीर को चिकित्सकों को समर्पित कर दिया । कोरोना के इलाज के लिए कई देश पिछले कई दिनों से वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे हैं । भारत में भी कुछ चिकित्सक एवं संस्थानों ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है, लेकिन अभी तक वैक्सीन का परीक्षण नहीं हो पाया है ।फूलपुर कस्बे के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य प्रांजल जायसवाल ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली को आजमगढ़ के जिलाधिकारी के माध्यम से एक पत्र के साथ ईमेल भेजा है जिसमें उन्होंने अपने ऊपर वैक्सीन का परीक्षण कराने की स्वीकृति दी है । उन्होंने पत्र में लिखा है की कोरोना वायरस की महामारी के कारण पूरी दुनिया को क्षति हो रही है । इस क्षति से दुखी होकर मानव जाति के कल्याण के लिए उन्होंने यह फैसला लिया है ।
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कोरोनावायरस के खात्मे के लिए कोई वैक्सीन तैयार की जाती है तो उसका परीक्षण सर्वप्रथम उनके शरीर पर किया जाए । इसकी मंजूरी भी सरकार की तरफ से मिल गई है ,और प्रांजल का गोरखपुर में पहला टेस्ट हो चुका है ।अभी उसके कई टेस्ट बाकी है । प्रांजल का कहना है कि वैक्सीन की परीक्षण के लिए मानव शरीर की आवश्यकता थी जिसके लिए उसने अपना शरीर परीक्षण के लिए दिया है और गोरखपुर में इसका प्राथमिक परीक्षण भी हुआ है जो सफल रहा । प्रांजल का कहना है कि आजमगढ़ को कुछ कारणों से दुनिया में बदनाम करने की कोशिश की गई लेकिन ऐसा नहीं है आजमगढ़ सदैव से क्रांतिकारी और सिद्ध भूमि रही है प्रांजल जायसवाल ने बताया कि उसके इस फैसले को लेकर उसके माता-पिता चिंतित हैं लेकिन उसके परिजन बुआ और फूफा जिससे प्रांजल का दिली लगाव है। उसकी बुआ और फूफा का कहना है की प्रांजल बचपन से ही बिल्कुल अलग रहा है देश की सेवा भारत माता के प्रति उसका प्रेम बहुत गहरा है । यही कारण रहा कि उसने ना अपने बारे में सोचा और ना ही अपने परिवार के बारे में सोचा और अपने शरीर को ही वह मानव हित के लिए समर्पित करने का फैसला कर दिया । उनका मानना है कि यदि उसके इस फैसले पर वैक्सीन का परीक्षण सफल हुआ तो उन लोगों को बहुत गर्व होगा लेकिन अगर कुछ और हुआ तो उन्हें अंदर से तकलीफ होगी । परिजनों का मानना है की कोरोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन की ट्रायल के लिए एक मानव शरीर की जरूरत होती है । सोचा तो बहुत लोगों ने लेकिन आगे कोई नहीं आया आगे प्रांजल ही आया । समाज व देश के लिए उसने अपने शरीर को दांव पर लगा दिया।
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