आसियान देशों से कागज आयात 11 सौ फीसदी बढ़ा

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published by saurabh

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नयी दिल्ली(वार्ता): भारत-आसियान मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) की समीक्षा का स्वागत करते हुए कागज उद्योग ने पेपर एवं पेपरबोर्ड को निगेटिव लिस्ट में डालने की अपील की है जिससे भारतीय पेपर विनिर्माताओं को प्रतिस्पर्धा का उचित माहौल मिल सकेगा क्योंकि वर्ष 2010-11 से इन देशों से कागत आयात में 1100 प्रतिशत की बढोतरी हो चुकी है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को लिखे पत्र में इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने कहा है कि 1 जनवरी 2010 को आसियान-भारत एफटीए प्रभावी होने के बाद और भारत में बेसिक कस्टम ड्यूटी लगातार कम करते हुए शून्य कर दिए जाने के बाद से आसियान देशों से पेपर एवं पेपर बोर्ड, विशेष तौर पर राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर का आयात बहुत तेजी से बढ़ा है। अभी आसियान देशों से सस्ते कागज के बेतहाशा आयात के कारण भारतीय विनिर्माताओं को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इन देशों से विशेष तौर पर राइटिंग एवं प्रिंटिंग पेपर का आयात होता है। उसने कहा कि पेपर एवं पेपरबोर्ड का आयात 2010-11 में 29000 टन था जो 1100 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2019-20 में 343 हजार टन पर पहुंच गया है। नौ साल की अवधि (2010-11 से 2019-20) में आसियान देशों से होने वाला पेपर एवं पेपरबोर्ड आयात 32 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा।

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भारत के कुल कागज आयात में आसियान देशों से होने वाले आयात की हिस्सेदारी 2010-11 में करीब 5 प्रतिशत थी, जो 2019-20 में चार गुना बढ़कर करीब 21 प्रतिशत हो गई। आईपीएमए के अध्यक्ष ए एस मेहता ने कहा, “आसियान देशों से शून्य प्रतिशत की बेसिक कस्टम ड्यूटी पर होने वाले बेतहाशा आयात के कारण घरेलू पेपर मिल उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। कई छोटी पेपर मिल एवं कुछ बड़ी पेपर मिल को भी घाटे के कारण परिचालन बंद करना पड़ा है। देश में कागज उत्पादन की पर्याप्त क्षमता है, जिसका पूरा प्रयोग नहीं हो पा रहा है।” घरेलू कागज उद्योग को उचित प्रतिस्पर्धा का माहौल देने के लिए पिछले कई वर्ष से आईपीएमए आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा की मांग कर रहा है। आईपीएमए ने सभी मौजूदा एवं भविष्य में होने वाले एफटीए में पेपर एवं पेपरबोर्ड को निगेटिव सूची में डालने का अनुरोध किया है। उसने कहा है कि पेपर एवं पेपरबोर्ड के आयात की अनुमति केवल एक्चुअल यूजर लाइसेंस के आधार पर ही मिलनी चाहिए, जिससे केवल सही ग्राहक ही अपने उपभोग के लिए सही मात्रा में कागज का आयात कर सकें। इससे बाजार में कागज आयात के गलत तरीकों पर लगाम लगाना संभव हो सकेगा।आईपीएमए ने पेपर एवं पेपरबोर्ड आयात पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का अनुरोध भी किया है। अवैध तरीके से होने वाले आयात पर लगाम के लिए आईपीएमए ने पेपर आयात के लिए निगरानी सिस्टम बनाने की भी मांग की है, जिससे देश में होने वाले कागज आयात की मात्रा, गुणवत्ता, वर्गीकरण आदि पर पूरी नजर रखी जा सके। इससे आयात के गलत तरीकों और सरकार को होने वाले राजस्व का नुकसान कम किया जा सकेगा और उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।

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