वर्ष 2005/2006 में नियुक्त आरक्षियो को 2800 ग्रेड पे व अन्य लाभ देने के निर्देश

उत्तर प्रदेश प्रयागराज लखनऊ न्यूज़

प्रयागराज,  (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2005/2006 बैच के भर्ती पुलिसकर्मियों की संयुक्त रूप से दायर याचिका पर उनकी 10 वर्ष की सेवा पूरा हो जाने के बाद 2800 ग्रेड पे प्रदान करने एवं सातवें वेतन आयोग का लाभ देने को लेकर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय को निर्देश दिया है ।
उच्च न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए इन आरक्षियो की मांग पर विभाग को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। प्रदेश के लगभग 12 जिलों में तैनात इन आरक्षियो ने याचिका दायर की थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता ने यूपी सिविल पुलिस/ पीएसी में 2005/ 2006 में नियुक्त आरक्षियो संजीव कुमार, शिवशंकर व कई अन्य आरक्षियो की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है । इन पुलिसकर्मियों को प्रोन्नत वेतनमान, वरिष्ठता,वेतन वृद्धि आदि पर फैसला लेने का डी जी पी पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिया है ।
न्यायालय ने तत्काली मायावती सरकार में बर्खास्त, बाद में अदालत के आदेश पर नियुक्ति तिथि से बहाल 22 हजार सिपाहियों को वेतन वृद्धि, प्रोन्नत वेतनमान, प्रशिक्षण अवधि सहित सेवा निरंतरता के साथ वरिष्ठता निर्धारण पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने बहस की।
इनका कहना है कि हापुड, कानपुर नगर, मेरठ,गौतमबुद्धनगर, इलाहाबाद, वाराणसी, मथुरा,गोरखपुर, गाजियाबाद में तैनात आरक्षियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली है। आरोप है कि 2007 में बर्खास्त पुलिसकर्मियों को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 26 मई 2009 को नियुक्ति तिथि से बहाल किया गया। बर्खास्तगी अवधि को काम नहीं तो वेतन नही के सिद्धांत पर अवकाश माना गया । सेवा निरंतरता दी गयी है लेकिन वरिष्ठता, वेतन वृद्धि, प्रोन्नत वेतनमान, 7वें आयोग की सिफारिशों का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जो उच्चतम न्यायालय के दीपक कुमार केस में दिए निर्देशों की अवहेलना है। याचियो के प्रशिक्षण अवधि को सेवा निरंतरता में शामिल कर वेतनमान पाने का अधिकार है। अधिवक्ता विजय गौतम का कहना है कि सरकार स्वयं अपने शासनादेश का पालन नही कर रही है।
गौरतलब है कि 2005-06 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने पुलिस/पीएसी भर्ती में चयनित 22 हजार पुलिसकर्मियों को भर्ती में धांधली के आधार पर 2007 में बर्खास्त कर दिया गया था । इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। एकलपीठ ने याचिकाएं मंजूर कर ली और सेवा निरंतरता के साथ नियुक्ति तिथि से बहाल करने का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ विशेष अपील खारिज हो गयी। तो सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एस एल पी दाखिल की। अदालत के अंतरिम आदेश पर डीजीपी ने सभी बर्खास्त पुलिसकर्मियों को बहाल कर दिया गया था। बर्खास्त अवधि का वेतन नहीं दिया गया। बाद मे सरकार बदलने पर एसएलपी वापस ले ली गयी। अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद सरकार सिपाहियों को उन्हें मिलने वाले सेवा लाभों से वंचित कर रही है। जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

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