नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, केन्द्र सरकार की एक सराहनीय पहल: आनंदीबेन

उत्तर प्रदेश एजुकेशन टॉप -न्यूज़ न्यूज़ राजनीती लखनऊ न्यूज़

published by saurabh

इसे भी देंखेंhttps://www.youtube.com/watch?v=m0_Caa0LIhc&t=20s

लखनऊ,(ST News): उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केन्द्र सरकार की एक सराहनीय पहल बताते हुए कहा कि इससे स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी एवं उद्देश्यपूर्ण परिवर्तन आयेगा।
श्रीमती आनंदीबेन ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को पहले से तय विषय चुनने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गयी है। अब छात्र अपनी मर्जी से कोई भी विषय चुन सकता है। भौतिक विज्ञान का छात्र चाहे तो वह संगीत या इतिहास को दूसरे विषय के रूप में भी चुन सकता है। बोर्ड परीक्षाओं का तनाव भी खत्म कर दिया गया है। कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक अनिवार्य रूप से मातृ भाषा व स्थानीय भाषा में शिक्षा ग्रहण करने से बच्चों का तेजी से बौद्धिक विकास होगा। राज्यपाल ने कहा कि बदलती जरूरतों के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य प्राथमिक स्कूली शिक्षा से लेकर कालेज स्तर की उच्च शिक्षा तक समय की मांग के अनुसार पाठ्यक्रमों में बदलाव करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करना है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद जैसे विभिन्न नियामक अभी देश में कार्य कर रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इन्हें एक ही छत के नीचे लाने का निर्णय सही दिशा में लिया गया फैसला है। इससे उच्च शिक्षा की दिशा में न केवल निर्णय लेने में तेजी आयेगी, बल्कि पारदर्शिता भी आयेगी। श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सबसे बड़ी विशेषता 2030 तक सौ प्रतिशत युवा और प्रौढ़ साक्षरता दर की प्राप्ति करना है।

यह भी पढ़ें-https://sindhutimes.in/strictly-follow-the-guidelines-of-unlock-3/

उच्चतर शिक्षा में वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात बढ़ाकर कम से कम पचास (50) प्रतिशत तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन का सृजन किया जाएगा। इसके साथ ही चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में ‘भारत उच्च शिक्षा आयोग’ का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहु-विषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आई0आई0टी0, आई0आई0एम0 के समकक्ष ‘बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। राज्यपाल ने कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महामारी एवं वैश्विक महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां कहीं भी पारम्परिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना सम्भव नहीं है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजिटल कन्टेन्ट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनायी जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार न आ पाने या विद्यार्थियों के कौशल विकास की दिशा में अपेक्षित नतीजे न आ पाने की बड़ी वजह शिक्षकों का नवोन्मेषी और नई जरूरतों के हिसाब से तैयार न होना रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो स्वागत योग्य है।

कृषि से संबन्धित समाचारों के लिए लागइन करेंhttp://ratnashikhatimes.com/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *