published by saurabh
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नयी दिल्ली,(वार्ता): केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि प्रबंधन हमारी प्राचीन सभ्यताओं का हिस्सा रहा है और अभी हाल के वर्षों में प्रबंधन शिक्षा और भारतीय व्यापार में बड़ा बदलाव आया है एवं इसी को ध्यान में रखते हुए हम नई शिक्षा नीति लेकर आएं जो प्रबंधन पाठ्यक्रमों को और मजबूत करेगी। डॉ. निशंक ने गुरुवार को यहाँ अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के 25वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए सभी छात्रों को इस संस्था से अपनी शिक्षा पूरी करने की बधाई दी और उन्हें जीवन की नई पारी शुरू करने के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होनें कहा, “आपके प्रबंधन डिप्लोमा और प्रमाण पत्र ने आपको अपने भविष्य निर्माण के लिए एक मजबूत आधार दिया है। आप अपनी प्रबंधन शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए एआईएमए को चुनकर बहुत अच्छा निर्णय लिया क्योंकि एआईएमए को भारत की प्रबंधन क्षमता के निर्माण में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए हमेशा सराहा गया है।”
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भारत में प्रबंधन के इतिहास की बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्राचीन मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यताओं में भी प्रबंधकीय कुशलता के साक्ष्य मिलते हैं। सात हजार वर्ष पहले लिखी गई श्रीमदभागवत गीता हमें प्रबंधकीय ज्ञान की शिक्षा देती है। भारत के प्राचीन महाकाव्य रामायण और महाभारत, वेद, श्रुति, स्मृति तथा पुराण हमें प्रबंधन का महत्व सिखाते है। वेदों जैसे कि ब्राह्मण और धर्मसूत्रों में प्रबंधन, ज्ञान और कौशल का विवरण है। कौटिल्य जो कि चाणक्य के नाम से भी जाने जाते है, चन्द्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य के प्रधानमंत्री थे और सभी प्रशासनिक कुशलता के लिए प्रसिद्ध थे लेकिन औपचारिक प्रबंधन शिक्षा का भारत में 50 वर्ष का इतिहास है। भारत में बिजनेस स्कूलों की संख्या में 1990 के बाद से वृद्धि हुई है।
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