केजरीवाल सरकार दलित और गरीब विरोधी है: बिधूड़ी

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published by saurabh

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नयी दिल्ली,(वार्ता): दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर करारा हमला बोलते हुए इसे दलित और गरीब विरोधी करार दिया। श्री बिधूड़ी ने कहा कि यदि आप सरकार वाकई दलितों की हमदर्द है तो इसे बताना चाहिए कि ऐसा क्यों है कि यह कोरोना फैलाने वाले जमातियों को छिपाने वाले इमामों को तो प्रतिमाह 30-30 हजार रुपये वेतन देती है लेकिन महर्षि वाल्मीकि मंदिर अथवा संत रविदास मंदिर के अनुसूचित जाति से आने वाले पुजारियों को एक भी पैसा नहीं देती। नेता विपक्ष ने कहा कि केजरीवाल सरकार गरीब और दलित परिवार के स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन के भत्ते तक का पैसा डकार गई और दिल्ली उच्च न्यायालय को इस मामले में यह कहना पड़ा कि हम सरकार को इस तरह आंखों में धूल झोंकने की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार यह सरकार कोरोना योद्धा का कार्य कर रही आशा कार्यकर्ताओं को महीनों से वेतन नहीं दे रही है। इनमें गरीब और अनुसूचित जाति परिवारों से आने वाली महिलाओं की अच्छी खासी संख्या है।

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उन्होंने बताया कि इस सरकार ने प्रवासी निर्माण मजदूरों के कोष के करीब 48 करोड़ रुपये अन्य कार्यों में खर्च कर दिये जबकि यह राशि इन मजदूरों के हित में खर्च की जानी थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी इसे लेकर कड़ी आपत्ति जतायी थी। इन मजदूरों में भी ज्यादातर गरीब तथा अनुसूचित जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोग हैं। श्री बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन, जिसने खुद दंगों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की, के रिश्तेदारों और अन्य अल्पसंख्यक समाज के लोगों को दुगना मुआवजा दिया। दिल्ली सरकार और अल्पसंख्यक आयोग, दोनों की तरफ से अलग-अलग लाखों रुपये की मुआवजा राशि दी गई लेकिन इन दंगों में जिन अनुसूचित जाति के लोगों के मकान जले या जान माल की क्षति हुई उनमें से बहुतों को मुआवजा मिलना अब भी बाकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम से पंचतीर्थ का निर्माण कराया और अनुसूचित जातियों का सम्मान किया। इनमें से एक तीर्थ लंदन में भी है।

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