कान्हानगरी में नहीं होगी जन्माष्टमी की धूम

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published by saurabh

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मथुरा(ST News): करीब 5247 वर्ष पूर्व रसावतार, पूर्णावतार श्रीकृष्ण ने जिस पावन स्थल पर जन्म लिया था, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के नाम से मशहूर हो चुके उसी स्थल पर कान्हा का जन्मदिन 12 अगस्त को मनाया जाएगा लेकिन कोरोना संकटकाल के चलते इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में भक्तों को जन्मस्थान परिसर में प्रवेश नही मिलेगा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार श्रीकृष्ण-जन्मभूमि में जन्माष्टमी पर श्रद्धालु मौजूद नही रहेंगे लेकिन ठाकुर का श्रृंगार और जन्मस्थान परिसर की साज सज्जा में किसी प्रकार की कोताही नही होगी तथा इस बार इस पावन अवसर पर पत्र, पुष्प, रत्न प्रतिकृति, वस्त्र आदि के अद्भुद संयोजन से बनाये गये ‘पुर्णेन्दु-कुंज’ बंगले में विराजमान हेाकर ठाकुरजी बड़े ही मनोहारी स्वरूप में भक्तों को दूरदर्शन के माध्यम से दर्शन देंगे। पत्र, पुष्प, काष्ठ आदि से निर्मित इस बंगले की छठा और कला निश्चित ही अनूठी होगी।

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उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के कारण इस बार जन्माष्टमी पर भक्तों को मंदिर में प्रवेश नही मिलेगा लेकिन सम्पूर्ण व्यवस्था और सजावट इस प्रकार की जा रही है कि भक्तों को ऐसी अनुभूति होगी जैसे जन्मस्थान परिसर में उनके सामने ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है। शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी का कार्यक्रम एक प्रकार से 11 दिसम्बर की शाम 6 बजे से ही शुरू हो जाएगा जब संत एवं आयोजन समिति के सदस्य श्रीकेशवदेव मंदिर से ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, के मध्य भगवान श्री राधाकृष्ण की दिव्य पोशाक अर्पित करने के लिए संकीर्तन करते हुये जायेंगे। पोशाक, मुकुट, श्रंगार, दिव्य मोर्छलासन, कामधेनु गाय की प्रतिकृति एवं दिव्य रजत कमल के विशेष दर्शन होंगे।
इस वर्ष ठाकुर जी जन्माष्टमी के पवित्र दिन सुन्दर जरी, रेशम एवं रत्नप्रतिकृतियों के संयोजन से निर्मित दिव्य मुकुट, धारण करेंगे तर्था भगवान श्रीराधाकृष्ण के दिव्य विग्रह को नवरत्न जड़ित स्वर्ण-कण्ठा धारण कराया जायेगा। शाम 6ः30 बजे भागवत-भवन में जन्म महोत्सव की ‘पुष्प-वृंत’ पोशाक, मोर्छलासन, स्वर्ण मण्डित रजत कामधेनु स्वरूपा गौ प्रतिमा एवं ‘ब्रजरत्न’ मुकुट तथा दिव्य रजत कमल-पुष्प दर्शनीय होगा।

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