इसरो अध्यक्ष डॉ. शिवन ने कहा कि भारत को सतत, समान और समावेशी विकास वाला राष्ट्र बनाने के लिए हमें उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास की ओर ध्यान देते हुए उसे प्राथमिकता देनी चाहिए।जी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने के अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संयुक्त उपक्रम लगाए जाने चाहिए। कर्मचारियों के कौशल को बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे उन्हें रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।इसरो अध्यक्ष ने अगले पीएसएलवी प्रक्षेपण के बारे में जानकारी देते हुए कहा,
“ सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों में गैर-सरकारी संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। आगामी पीएसएलवी प्रक्षेपण में स्टार्ट-अप एजेंसियों की ओर से विकसित किए गए उपग्रहों का इस्तेमाल किया जायेगा।”दूसरी प्राथमिकता विश्वस्तरीय प्रतिभा को आकर्षित कर उन्हें बेहतर प्रशिक्षण देना होनी चाहिए। भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जिसके लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अति प्रतिभाशाली लोगों की आवश्यकता है।डॉ शिवन ने डिजिटल इंडिया पहल का उल्लेख करते हुए भारत को डिजिटल रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए इसरो के योगदान के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी है। हम लगातार ऐसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हाे। यहां तक कि रॉकेट के प्रक्षेपण में भी इसरो ग्रीन प्रोपल्सन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है और अगले मानव अंतरिक्ष मिशन में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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