published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता): केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने वास्तुकला विद्यालयों के प्रमुखों तथा विद्यार्थियों से भारतीय वास्तुकला को समृद्ध बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारतीय वास्तुकला पद्धति हजारों साल पुरानी है। श्री निशंक ने मंगलवार को यहां वस्तुकला शिक्षा के न्यूनतम मानक विनियम 2020 का ऑनलाइन शुभारंभ करते हुए वास्तुकला विद्यालयों के प्रमुखों तथा विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वह भारतीय वास्तुकला को समृद्ध बनाने का भरसक प्रयत्न करें। उन्होंने कहा कि भारतीय वास्तुकला पद्धति हजारों साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो से लेकर आजतक भारतीय भवन निर्माण प्रणाली न केवल वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है बल्कि अपने आप में एक विशिष्ट कला है। उन्होंने कहा कि वास्तुकला परिषद के प्रयत्नों की सराहना करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय वास्तुकला परिषद इसके कार्यों के लिए हर संभव सहायता करेगा।
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वास्तुविद अधिनियम 1972 में यदि कोई संशोधन करने हैं तो वास्तुकला परिषद ऐसे सुझाव मंत्रालय को भेजे। वास्तुकला परिषद के अध्यक्ष हबीब खान ने श्री निशंक का धन्यवाद करते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि वास्तुकला परिषद वास्तु शिक्षा के विकास तथा उत्थान के लिए भरपूर प्रयास करेगी। गौरतलब है कि वास्तुकला परिषद वास्तुविद अधिनियम 1972 के अधीन स्थापित की गई है तथा यह वास्तुशिक्षा के न्यूनतम मानकों तथा वास्तुविद व्यवसाय के मानकों का निर्धारण और निगरानी करती है। परिषद पूरे देश के वास्तुविदों का पंजीकरण भी करती है।
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