भारत सस्ती शिक्षा उपलब्ध करवाने वाला वैश्विक गंतव्य बनेगा : डॉ निशंक

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published by saurabh

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नयी दिल्ली,(वार्ता): केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि नई शिक्षा नीति देश को सस्ती और बेहतर शिक्षा प्रदान करने वाले वैश्विक अध्ययन केंद्र के रुप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित होगी और इससे भारत विश्वगुरु के रूप में स्वयं को स्थापित करने में सफल होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री ‘निशंक’ ने आज यहाँ पर माइंडमाइन इंस्टिट्यूट के माइंडमाइन मंडे कार्यक्रम के दौरान कहा “दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल संस्थानों को भारत में काम करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस तरह से शिक्षा को एक आधारभूत ढांचे के तहत लाया जाएगा। भारतीय और वैश्विक संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग और छात्रों के आदान-प्रदान के विशेष प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, विदेशी विश्वविद्यालयों में क्रेडिट अर्जित करने की अनुमति दी जाएगी।” उन्होंने कहा, “2020 की नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जो 34 साल बाद आई है। नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए साल 2030 तक का लक्ष्य रखा गया है। नई शिक्षा नीति के जरिए भारत को 21वीं सदी में नए युग की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करने का लक्ष्य है। इसे सुव्यवस्थित और गहन विचार विमर्श के बाद तैयार किया गय़ा है।” इस नीति में शिक्षा के माध्यम की भाषा को लेकर उठ रहे विवाद पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ हम सब ये अच्छी तरह से जानते हैं कि आठ साल से कम उम्र के बच्चे भाषाएं ज्यादा तेजी से सीखते हैं और भाषा सीखना बच्चे के संज्ञानात्मक विकास का बेहद अहम पहलू है इसलिए इस अवस्था में बहुत-सी भाषाएं या कम से कम तीन भाषाएं सिखाई जाएं। छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा/ मातृभाषा में तेजी से अनौपचारिक अवधारणाओं को समझ लेते हैं।

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कम से कम पांचवी कक्षा तक की शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होगी या इसे आठ और उससे आगे तक बढ़ाया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि “तीन-भाषा फॉर्मूला में अधिक लचीलापन होगा, और किसी भी राज्य में कोई अन्य भाषा नहीं लादी जाएगी। तीन भाषाएं अलग-अलग राज्यों में निश्चित रूप से छात्रों की पसंद होंगी इसलिए तीन भाषाओं में से कम से कम दो भारत के मूलकी होगी। कहने का मतलब है कि नई शिक्षा नीति कही भी अंग्रेजी भाषा को हटाने की बात नहीं करती है, बल्कि बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है।” शिक्षा मंत्री जी ने साफ़ किया कि कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जाएगी और त्रिभाषीय फॉर्मूले से सभी के लिए अवसर बढ़ेंगे। उन्होनें कहा, “भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित सभी भाषाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बड़ी संख्या में भाषा शिक्षकों और विशेष रूप से सभी भाषाओं में नियुक्त करने का बेहतर मौका मिलेगा। राज्य, विशेष रूप से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में तीन-भाषा के फार्मूले को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए कृत संकल्प होंगी। विभिन्न भाषाओं को सीखने के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग किया जाएगा।” माइंडमाइन इंस्टीट्यूट हीरो एंटरप्राइज द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र थिंक टैंक है जो इसके पहले इस तरह के संवाद आयोजित कर चुका है। हीरो एंटरप्राइज के अध्यक्ष और हीरो मोटोकॉर्प के प्रबंध निदेशक शसुनील कांत मुंजाल एवं इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस के संस्थापक डीन, अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं ट्रस्टी और हड़प्पा एजुकेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रमथ राज सिन्हा के साथ श्री निशंक ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न बिन्दुओं पर बात की। भारत को वैश्विक शिक्षा गंतव्य बनाने के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि विदेशी छात्रों की मेजबानी करने वाले प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों में विदेशों से आने वाले छात्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय स्थापित किये जाएंगे। इन कार्यालयों में उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी संस्थानों के साथ अनुसंधान और शिक्षण सहयोग की सुविधा होगी। शिक्षा के लिए विदेशों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को विदेशों में कैम्पस स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

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