एस.वी.सिंह ‘उजागर’
– 29 दिसंबर को लिया था डा. गुप्ता ने निदेशक पद का चार्ज, वापस अपर निदेशक मिर्जापुर बनाये गये।
लखनऊ,(सिंधु टाइम्स)। पशुपालन विभाग में महज चार दिनांे के बाद ही शासन ने निदेशक बदल दिया, विभाग में जहां नये निदेशक ने अपना पदभार संभाल लिया तो वहीं विभाग में तरह-तरह की चर्चाएं तैर रही है, कोई शासन की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है तो कोई इसे निदेशक पद पर जोड़-तोड़ की गणित की संज्ञा दे रहा है। बहराल शासन द्वारा चंद दिनों में निदेशक के बदल जाने पर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हैरत में हैं।
ज्ञात हो कि पूर्व में तैनात निदेशक डा.यू.पी. सिंह नवंबर माह में सेवानिवृत्त हो गये थे, उसके बाद करीब महीने भर तक निदेशक पशुपालन की तलाश होती रही। बीते 29 दिसम्बर को डा राजीव गुप्ता को निदेशक प्रशासन और विकास बनाया गया, तो वहीं डा. संतोष मलिक को डिसीज कंट्रोल एन्ड फार्म का चार्ज दिया गया था।
विभागीय सूत्रों की माने तो डा. गुप्ता की तैनाती भी डीपीसी हो जाने के बाद की गयी थी, वहीं इसी बीच फिर से निदेशक पद के लिए डीपीसी की गयी। जिसमें लखनऊ मंडल में तैनात अपर निदेशक डा. रामपाल सिंह निदेशक का पद पाने में कामयाब रहे। सूत्रों की माने तो शासन द्वारा डीपीसी की पूरी कवायद डा. रामपाल सिंह को ही लेकर की जा रही थी, क्योंकि डा. रामपाल सिंह निदेशक पद पाने के लिए पहले से ही शासन और सरकार में अपनी गोटें बिछा रहे थे। कुछ दिनों के बाद निदेशक पद पर डा. रामपाल सिंह की ताजपोशी होने के बाद विभागीय अधिकारियों की यह शंका भी सच साबित होती है। शायद यही वजह थी की निदेशक यूपी सिंह के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद महीने भर से ज्यादा के वक्त तक निदेशक का पद खाली बना रहा।
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