नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को किसी मामले में जांच से पहले संबंधित राज्य से सहमति अनिवार्य तौर पर लेनी होगी। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि कानून के अनुसार, राज्य की सहमति आवश्यक है और केंद्र राज्य की सहमति के बिना सीबीआइ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार नहीं कर सकता है। ये प्रवाधान संविधान के संघीय चरित्र के अनुरूप है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी अधिकारियों की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
कोर्ट का यह आदेश सत्तारूढ़ आठ विपक्षी शासित राज्यों – राजस्थान, बंगाल, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब और मिजोरम के लिए महत्वपूर्ण है। इन राज्यों ने सीबीआइ को जांंच के लिए दी गई समान्य सहमति वापस ले ली है।जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम का उल्लेख किया, जो सीबीआइ को नियंत्रित करता है।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई की धारा 5 केंद्र शासित प्रदेशों से परे केंद्र सरकार को सीबीआइ की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम बनाती है, लेकिन डीएसपीई की धारा 6 के तहत राज्य संबंधित क्षेत्र के भीतर इस तरह के विस्तार की सहमति नहीं है। जाहिर है, प्रावधान संविधान के संघीय चरित्र के अनुरूप हैं, जिन्हें संविधान की बुनियादी संरचनाओं में से एक माना गया है।
फर्टिको से जुड़े मामले में कोर्ट का आदेश
फर्टिको मार्केटिंग एंड इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े एक मामले में अगस्त 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। फर्टिको के कारखाने परिसर पर सीबीआइ द्वारा अचानक छापेमारी की गई। कंपनी ने कोल इंडिया लिमिटेड के साथ ईंधन आपूर्ति समझौते के तहत जो कोयला खरीदा था, वह कथित तौर पर ब्लैक मार्केट में बेचा गया था। सीबीआइ ने मामला दर्ज किया था।