Published by Aprajita
जमशेदपुर; केंद्र सरकार का बजट आने वाला है। स्वाभाविक है कि सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संबंध में भी कुछ घोषणा करेगी इसे ध्यान में रखते हुए सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 10 सुझाव दिए हैं।
चैंबर ने कहा है कि सरकार एवं कानून निर्माता व्यापारियों, कानूनी सलाहकारों एवं जीएसटी विशेषज्ञों के साथ मिल कर एक समिति गठित करे। पूर्वाग्रहों से ग्रसित अधिकारियों की पहचान करके उन्हें इस समिति से अलग रखे। जब तक सरकार और कानून निर्माता सभी व्यवसायियों को कर-अपवंचक समझ कर कानून का निर्माण करेंगे, तब तक जीएसटी का सरलीकरण संभव नही है। कई प्रावधान अत्यंत ही जटिल हैं और उन प्रावधानों से सरकार को कोई राजस्व की प्राप्ति भी विशेष नहीं हो रही है।
ये रहे 10 सुझाव
- 1. यह केंद्र सरकार का दायित्व है कि सभी राज्यों को विश्वास में ले और आइजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी को जीएसटी में समाहित करे।
- 2. भूल होना स्वाभाविक मानवीय स्वभाव है अतः सभी रिटर्न को संशोधन करने की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
- 3. विलंब शुल्क एवं ब्याज एक साथ लेना प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। एक समय सीमा तक ब्याज वह भी बैंक दर पर एवं अत्यधिक विलंब पर ही विलंब शुल्क लेना चाहिए।
- 4. बिल के अनुसार मासिक रिटर्न मिलान करने की जगह जीएसटी नंबर के अनुसार वार्षिक आधार पर मिसमैच होने पर ही नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
- 5. टर्नओवर की व्याख्या सभी कानूनों में एक समान होनी चाहिए।
- 6. रिफंड क्लेम की जगह रिटर्न दाखिल होते ही स्वतः रिफंड जारी होना चाहिए।
- 7. किसी भी व्यापारी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के पहले उसे स्पष्टीकरण का उचित अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
- 8. सूचनाएं एवं आंकड़े एकत्रित करने के लिए सरकार व्यापारियों का उपयोग बंद करे।
- 9. किसी भी तरह का नया कर या प्रावधान लाने के पहले व्यापारियों एवं कर-विशेषज्ञों की समिति की सहमति अनिवार्य हो।
- 10. जीएसटीएन नेटवर्क को सरल और प्रभावी बनाया जाना चाहिए।
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