भाजपा की मनुस्मृति सोच ने राष्ट्रपति को अयोध्या आने से रोका: संजय सिंह

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published by saurabh

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सुलतानपुर,(वार्ता): अयोध्या में भूमिपूजन पर आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रसन्न्ता व्यक्त की थी और देशवासियो को बधाई दी थी, उसी आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एवं सदस्य राज्यसभा संजय सिंह ने भूमि पूजन कार्यक्रम पर सवाल खड़े किए।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को न बुलाए जाने पर भारी असंतोष व्यक्त किया और कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की मनुस्मृति सोच ने उन्हें इस कार्यक्रम में जाने से रोका है। सांसद श्री सिंह ने अपने सुल्तानपुर के गभडिया स्थित निवास पर आज पत्रकारों से बातचीत की। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर मुद्दे पर संविधान के तहत सर्वोच्च न्यायालय का जो भी निर्णय है, उसे सभी को मानना ही चाहिए। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का श्रीराम राम जन्मभूमि मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है वह सिर्फ मंदिर के नाम पर राजनीति कर रही है। श्री राम वह मर्यादा पुरूषोत्तम है जिन्होंने शबरी और केवट जैसे दलितों और पिछड़ों को लेकर आतताई रावण का नाश किया। भारतीय जनता पार्टी श्रीराम के चरित्र और मर्यादा का पालन नहीं कर रही है बल्कि भगवान और मंदिर के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है। देश जिस संविधान से चलता है। उस संविधान ने राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया किंतु मनुस्मृति ने उन्हे मंदिर जाने से रोक दिया।

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आखिर क्यों राष्ट्रपति को अयोध्या नही बुलाया गया यह एक बडा सवाल है ? तथा यह भाजपा के मन में खोट को जाहिर करता हैं। भाजपा हमेशा ही दलित विरोधी रही है समय-समय पर उसका दलित विरोध सामने आता है। उन्होंने कहाकि पांच अगस्त को अयोध्या में संपन्न भूमि पूजन कार्यक्रम में कई लोगों की उपेक्षा की गई प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पीछे और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को आगे बैठा कर श्री मौर्य को उपेछित किया गया। इसी तरह चुनाव था तो दलित के नाम पर कोविद् जी को राष्ट्रपति बनाया गया किंतु जब मंदिर में भूमि पूजन की बात आई तो दलित की उपेक्षा कर प्रधानमंत्री को बुलाया गया। इस पूजन में कल्याण सिंह, उमा भारती जैसे अनेक आंदोलनकारी नेताओं की भी उपेक्षा पर संजय सिंह ने सवाल भी खड़े किए । उन्होंने कहा कि इसके पहले राष्ट्रपति को जगन्नाथपुरी में पूजन करने नहीं जाने दिया गया। इसी तरह भूमि पूजन में उन्हें नहीं बुलाया जाता और बाद में प्रसाद भेजने का नाटक किया जाता है। 2018 के आते हैं बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों में सबसे ज्यादा दलित उत्पीड़न व आपराधिक घटनाएं भी है।

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