उद्भव, उद्देष्य और लक्ष्यः
देश और दुनियां की गिरती अर्थव्यवस्था, मीडिया हाउसिस पर मंडरा रहे वित्तीय संकट के चलते जहां हर रोज अखवार और पत्रकाएं बंद हो रहीं हैं ऐसे समय में सिन्धु टाइम्स गु्रप का मार्केट में उतरना एक बड़े जोखिम से कम नही है। लोगों का सवाल हो सकता है कि मीडिया संकट के दौर में एक और अखवार क्यों..! इलेक्ट्रानिक मीडिया और शोषल प्लेटफार्म के जरिये त्वरित सूचना प्रसारण युग में आखिर अखवार की महत्ता कितनी शेष है। उक्त सवाल लाजमी हैं और सबसे ज्यादा लाजमी है वह शब्द…’आखिर क्यों’। खबरियां चैनलों और समाचार पत्रों पर गौर करें तो आपको स्वयं लगने लगेगा कि जिन उद्देश्यों को लेकर अखवारों का उद्भव हुआ था आज वह उद्ेश्य उनके पृष्ठों से गायब हैं। अखवारों से सूचनाएं गायब हैं, समाचारों का सटीक विश्लेषण गायब है। जनसमस्याओं को लगातार उठाने का जज्बा गायब है। ब्रेकिंग न्यूज चलाने वाले संपादकों का फाॅलोअप से रूझान गायब है। किसानों, मजदूरों, छात्रों, बेरोजगारों और महिलाओं की असल समस्याओं से आंख मूंदे सरकारी महिमा मण्डन के इस युग में चैनलों और समाचार पत्रों में व्यवसायिक और चाटुकार पत्रकारिता का बोल बाला है। स्वच्छंद लेखन करने वाले लेखकों के लिए अपनी बात कहने के लिए मंच सीमित हो चले हैं, ऐसे में सिन्धु टाइम्स गु्रप अपने कई अनकहे उद्देश्यों को लेकर अपने विभिन्न स्वरूपों के साथ मार्केट में लौट रहा है। हमारा उद्ेश्य जनता से जुड़ी समस्याओं को सरकार के कानों तक पहुंचाना और सरकार की कार्यप्रणाली और कार्यगुजारी से जनता को अवगत कराना है। प्रभुत्व और प्रभाव के चलते कितने ही समाचार मीडिया संस्थानों की टेबिल पर दम तोड़ देते हैं ऐसे सभी समाचारों को प्रमुखता से उठाने का प्रयास रहेगा। सिन्धु टाइम्स ग्रुप के पत्रकारों, लेखकों और चिंतकों की कलम अपने पेशे के साथ न्याय कर सके और न्याय दिला सके तो इसके उद्भव का उद्ेश्य अवश्य सार्थक होगा।
समाचार पत्र का प्रकाषन बिजनेस नही समाज सेवा है-
समाचार पत्र के प्रकाशन का उद्देश्य मूलतः व्यापार न होकर समाज सेवा की श्रेणी में आता है। विज्ञापन एवं सहयोग राशि अखवार नियमित व अनवरत प्रकाशन का साधन भर है। सिन्धु टाइम्स गु्रप का जन्म दबी, कुचली और शोषित आवाज को उठाने के लिए ही हुआ है। यही इसके उद्भव का मूल उद्देश्य है और यही इसका अन्तिम सत्य है। विज्ञापन, प्रसार और प्रचार महज इसे सुचारू रूप से संचालित करने का जरिया मात्र हैं। ’सिन्धु टाइम्स’ की सोच का विस्तार उसकी नामाराशि नदी सिन्धु (इंडस) से पूरी तरह से मेल खाता है और इसी लिए यह अखवार शायर मुनव्वर राना साहब के इस शेर से पूरी तरह से इत्तेफाक रखता है।
सिन्ध सदियों से हमारे देश की पहचान है।
यह नदी गुजरे जहां से समझो हिन्दुस्तान है।।