published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता): देश के छह राज्यों में दवा विक्रेताओं के सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में गर्भपात की दवाओं की भारी किल्लत है, जिससे इन राज्यों की गर्भवती महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात का सहारा लेना पड़ता है। फांउडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज इंडिया ( एफआरएचएसआई) ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और असम के 1,500 दवा विक्रेताओं का सर्वेक्षण करके यह पता लगाया कि कितने प्रतिशत दवा विक्रेता अपने पास गर्भपात की दवा रखते हैं।सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ कि पंजाब में मात्र एक प्रतिशत दवा विक्रेता गर्भपात की दवा रखते हैं। इसके अलावा हरियाणा और तमिलनाडु के दो-दो प्रतिशत , मध्यप्रदेश के 6.5 प्रतिशत और दिल्ली के 34 प्रतिशत दवा विक्रेता गर्भपात की दवा बेचते हैं।
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असम की स्थिति इन सबसे बेहतर है, जहां के 69.6 प्रतिशत दवा विक्रेताओं के पास गर्भपात की दवा थी। परिवार नियोजन सेवायें प्रदान करने वाले गैर सरकारी संगठन एफआरएचएसआई के मुताबिक कानूनी झंझट और जरूरत से दस्तावेज जमा करने की परेशानी से बचने के लिए लगभग 79 प्रतिशत दवा विक्रेताओं ने गर्भपात की दवायें बेचनीं बंद कर दी हैं। सर्वेक्षण में शामिल 54.8 प्रतिशत दवा विक्रेताओं का कहना था कि अनुसूची एच दवाइयों के मुकाबले गर्भपात की दवायें ज्यादा नियंत्रित हैं। यहां तक कि असम में , जहां गर्भपात की दवाओं का भंडार अधिक है, वहां के 58 प्रतिशत दवा विक्रेता भी इन दवाओं पर अनियंत्रण की बात कहते हैं। तमिलनाडु के 79 प्रतिशत, पंजाब के 74 प्रतिशत, हरियाणा के 63 प्रतिशत और मध्यप्रदेश के 40 प्रतिशत दवा विक्रेता गर्भपात की दवा न रखने के पीछे नियामक के नियंत्रक को ही मुख्य वजह बताते हैं।
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