published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता): केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि अर्थव्यवस्था और आपदा जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में भारत भविष्य के वैश्विक राजनीतिक ढांचे में अग्रणी भूमिका निभाएगा। श्री राय ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के समापन समारोह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। गृह राज्य मंत्री ने आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 सूत्री एजेंडे का उल्लेख करते हुए कहा कि इस एजेंडे में आपदा संबंधी मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क विकसित करने तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर दिया गया है। ये दोनों बिन्दू जलवायु जोखिम प्रबंधन की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रतिभा पर भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि इसका मकसद देश के दूर-दराज के इलाकों और हर जरूरतमंद व्यक्ति तक फायदा पहुंचाना होना चाहिए। श्री राय ने आपदाओं से संबंधित विभिन्न ज्वलंत सवालों पर एक साथ सोचने, एक साथ बोलने, उनका समाधान ढूंढने के लिए दुनिया के प्रतिभावान लोगों को एक मंच पर लाने और प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए संबंधित संस्थानों के प्रयासों की सराहना की।
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उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के नतीजों और सिफारिशों को आने वाले समय में वास्तविकता में बदला जाना चाहिए। सम्मेलन के संयोजक प्रोफेसर अनिल के. गुप्ता विभाध्यक्ष ईसीडीआरएम डिवीजन, एनआईडीएम ने सम्मेलन का सार प्रस्तुत किया। एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल ने आपदाओं,जलवायु और विकास के उभरते संदर्भों में इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) में संयुक्त सचिव डॉ. जिगमेट टकपा ने देश में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए)और डीआरआर के लिए काम करने वाली सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से जलवायु अनुकूलन योजना प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। सम्मेलन में भारत सहित 10 से अधिक देशों के विशेषज्ञों,सरकारी अधिकारियों,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के दिग्गजों,नीति नियोजकों, और कार्यान्वयन कर्ताओं ने भाग लिया।
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