published by saurabh
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नयी दिल्ली(वार्ता): उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक संगठन को उसकी अंतर्निहित क्षमता की पूर्ण अभिव्यक्ति का अवसर देने का आह्वान करते हुए कहा है कि इससे हमारा देश उन्नति के एक नये स्तर पर पहुंच सकता है। श्री नायडू ने ‘09 अगस्त भारत अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ की 78वीं वर्षगांठ पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखे एक लेख में कहा है कि इसके लिए हर नागरिक को सशक्त और सक्षम बनाना जरूरी है जिससे उसे पर्याप्त अवसर मिल सकें, उसे नवाचार के लिए परिवेश मिल सके और वह उन अवसरों का लाभ उठा सके। उन्होंने कहा कि भारत ने 15 अगस्त, 1947 को आजादी हासिल की, वह न केवल औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों से मुक्त हुआ, बल्कि इसने गजनवी के आक्रमणों के बाद से लगभग 1000 साल के काले युग की दमन और शोषण की विरासत को भी पीछे छोड़ दिया है। लंबे स्वतंत्रता संग्राम और संविधान ने नए भारत और उसके पुनर्निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दिया है। स्वतंत्र भारत के ये लक्ष्य महात्मा गांधी और स्वतंत्रता संग्राम के अन्य नायकों द्वारा निर्धारित किए गए थे।
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से, भारतीयों का रहन-सहन निश्चित रूप से बेहतर हुआ है लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। अपनी श्रेष्ठ और स्वर्णिम नियति तक पहुंचने के लिए अभी बहुत लंबा सफर तय करना है और प्रयास करना है। संविधान के ‘लक्ष्यों और उद्देश्यों के संकल्प’ पर संविधान सभा में बोलते हुए, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि प्रत्येक भारतीय को अपनी क्षमता के अनुसार खुद को विकसित करने का पूर्ण अवसर देना ही हमारा लक्ष्य है। श्री नायडू ने कहा कि पारस्परिक सौहार्द के अभाव, उद्देश्यों और प्रयासों में कमी के कारण भारत को लंबे समय तक अधीनता और शोषण का सामना करना पड़ा है। इससे सीख लेते हुए, सभी भारतीयों को अपने-अपने सांस्कृतिक मूल्यों और संस्कारों का पालन करते हुए भी, भारतीयता की हमारी साझा भावना से बंधने की आवश्यकता है। यह विभिन्न विविधताओं से ऊपर उठ कर राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करें उसे सशक्त सबल करें। विभाजित भारत, किसी शत्रु के लिए एक आसान लक्ष्य बन सकता है। एक मजबूत, अखण्ड और भावनात्मक रूप से एक भारत ही, संदिग्ध इरादों के साथ बुरी नजर रखने वाले विरोधियों के विरुद्ध सशक्त रक्षा कर सकता है।
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